क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन
54 संस्थानों को मिली जगह, प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री ने दी बधाई
- यह हमारे युवाओं, शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था की सामूहिक सफलता
नई दिल्ली। भारत ने वैश्विक शिक्षा जगत में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारत के 54 उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) को जगह मिली है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस अभूतपूर्व सफलता पर प्रधानमंत्री मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने देशवासियों को बधाई दी और इसे नए भारत की शैक्षिक शक्ति का प्रतीक बताया।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि क्यूएस रैंकिंग में भारत के 54 संस्थानों को शामिल किया जाना अत्यंत गर्व का क्षण है। यह हमारे युवाओं, शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था की सामूहिक सफलता है। हम शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व की ओर तेजी से अग्रसर हैं। शिक्षा मंत्री प्रधान ने इसे भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सकारात्मक परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि भारत के शिक्षण संस्थानों ने वैश्विक मंच पर अपनी गुणवत्ता और नवाचार से पहचान बनाई है। यह उपलब्धि देश के शिक्षा क्षेत्र में किए गए व्यापक सुधारों और निवेश का प्रमाण है।
इस वर्ष की क्यूएस रैंकिंग में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी मद्रास और आईआईटी खड़गपुर जैसी शीर्ष संस्थाएं उच्च स्थान पर रहीं, जबकि कुछ निजी विश्वविद्यालयों ने भी उल्लेखनीय छलांग लगाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के संस्थानों की शोध गुणवत्ता, डिजिटल शिक्षा, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के चलते यह सुधार संभव हो सका है।क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) हर साल विश्व भर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग शैक्षणिक प्रतिष्ठा, रोजगार के अवसर, शोध प्रभाव और वैश्विक दृष्टिकोण जैसे मानकों पर करता है। इस वर्ष 100 से अधिक देशों के हजारों विश्वविद्यालयों में से चुने गए भारत के 54 संस्थान, शिक्षा में देश की सशक्त उपस्थिति का प्रतीक हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल क्यूएस रैंकिंग में भारत के महज 46 शैक्षणिक संस्थानों ने जगह बनाई थी। भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि को विशेषज्ञ शिक्षा के क्षेत्र में भारत की तेजी से बढ़ती वैश्विक साख के रूप में देख रहे हैं। इस वर्ष की रैंकिंग में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और आईआईएससी बेंगलुरु जैसे संस्थानों ने शीर्ष 200 में जगह बनाई है, जबकि कई नए संस्थानों ने पहली बार सूची में प्रवेश किया है। खास बात यह है कि रैंकिंग में निजी विश्वविद्यालयों की भी मौजूदगी बढ़ी है, जिससे शिक्षा के विविध क्षेत्रों में भारत की मजबूती का संकेत मिलता है। शिक्षा मंत्रालय ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह सरकार की शिक्षा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और समावेशी बनाने की नीति का परिणाम है।
नई शिक्षा नीति (एनईपी) और डिजिटल शिक्षा पहलों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्यूएस रैंकिंग के क्षेत्रीय निदेशक बेन सॉटर ने कहा, भारत के संस्थानों ने लगातार सुधार और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देकर यह उपलब्धि हासिल की है। यह भविष्य में और बेहतर प्रदर्शन की संभावना को दर्शाता है। भारत की यह उपलब्धि न केवल देश के युवाओं के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह संकेत भी है कि भारत अब वैश्विक शिक्षा मानचित्र पर तेजी से उभरती हुई शक्ति बनता जा रहा है।
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