राजधानी के पॉश इलाक़े में फायरिंग, पुलिस को बदनाम करने की साजिश ?

पिस्तौल की भय दिखाकर 400 की लूट, घटना के बाद फायरिंग की क्यों पड़ी ज़रूरत

पीड़ित के बातों में कितनी सच्चाई , सीसीटीवी करेगा पर्दाफाश बेनक़ाब होंगे अपराधी/ साजिशकर्ता

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रवीश कुमार मणि 
 
पटना ( अ सं ) । सूबे में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी , सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं है । छोटी- छोटी सी घटनाओं को बिगड़ते विधि- व्यवस्था की हवाला दें , यह कहते दिख रही है की पहले जंगलराज था तो यह क्या है । विपक्षी और सत्तारूढ़ दल एक दूसरे के समय काल को जंगलराज की संज्ञा दें बिहार को बदनाम करने का काम कर रहें है या नहीं यह बुद्धिजीवियों को तय करना है या फिर सियासतदानों के  हं में हं मिलाकर भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है । यह इसलिए कहना जरूरी पड़ गया है की राजधानी के पॉश इलाक़े में 400 रूपए की लूट के बाद गोलीबारी की घटना को एक राजनीतिक पार्टी द्वारा तूल देकर कटाक्ष करना की जंगलराज किसे कहते है । 
             घटना पर गौर करें तो पटना एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के रिहायशी इलाक़े से गुज़र रहा एक यात्री का आरोप है की मोटरसाइकिल सवार दो अपराधी ने रोककर पिस्तौल सटा धमकी दिया की जो है सो दें दो । डरकर राहुल कुमार ने अपराधी को अपना पर्स दे दिया जिसमें 400 रूपए थे । अपराधी लेने के बाद मोटरसाइकिल से भागने के दौरान दो राउंड फायरिंग किया । जरा सोचिए जब यात्री ने रूपए दे दिए तो भागने के क्रम में मोटरसाइकिल अपराधियों ने फायरिंग कर क्या साबित किया । शायद दहशत फैलाने का उद्देश्य या फिर साइको । यात्री से 400 रूपए की लूट के घटना को अंजाम देने के बाद 1200 रूपए की गोली छेड़ना लाभ की हानि है । 
              राज्य के कई मंत्री विधायक , माननीय का आवास है । पुलिस की कई चेकपोस्ट है , लगातार पुलिस की गश्ती होते रहती । हाई रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है । जो कोई मूर्ख अपराधी ही होगा की इस हाई सिक्योरिटी ज़ोन में किसी घटना को अंजाम देगा और अपराधी वहां से बच के निकल जायेगा । घटना की सूचना पुलिस को मिलती है इससे पहले सोशल मीडिया पर घटना वायरल हो जाता है । राजनीतिक पार्टी सोशल साइट्स पर सरकार को टार्गेट कर जंगलराज- जंगलराज अलपा रहें है । सवाल उठता है क्या बिहार जंगलराज से आगे  नहीं निकलेगा । 
               आगामी विधानसभा चुनाव में 6 - 8 माह बचे है । इसके पहले सरकार को टार्गेट विकास और बेरोजगारी पर घेरा जाता है । लेकिन अब ऐसा नहीं है । पुलिस की छवि को ख़राब करने के लिए छोटी से छोटी घटनाओं को तूल दिया जा रहा है । पुलिस के मनोबल को कमज़ोर करने की साज़िश की जा रही है । पॉश इलाक़े में गोलीबारी भी कुछ ऐसा ही संकेत कर रही है । पुलिस जाँच में सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा और अपराधी/ साजिशकर्ता सब बेनक़ाब हो जाएँगे । बहरहाल अगर वाक़ई घटना घटी है तो पुलिस के लिए चुनौती ज़रूर है की ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो । 
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