राष्ट्रपति से पद्मश्री पाकर भावुक हुईं ममता शंकर, बोलीं– यह ईश्वर का आशीर्वाद
-कार्तिक महाराज बोले -परोपकार में और ऊर्जा मिलेगी
कोलकाता। मशहूर अभिनेत्री और नृत्यांगना ममता शंकर ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में 'पद्मश्री' सम्मान प्राप्त किया। सम्मान को हासिल करने के बाद वह भाव विभोर हैं। "हिन्दुस्थान समाचार" से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि यह ऐसा अहसास है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह ईश्वर का आशीर्वाद है। मैं बहुत खुश हूं, लेकिन मन में क्या चल रहा है, उसे व्यक्त नहीं कर सकती। भारत सरकार ने मुझे इस सम्मान के लिए चुना, यह मेरी कल्पना से भी परे था। मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं था, न कभी उम्मीद की थी।
ममता शंकर ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई योजना नहीं बनाई और शायद इसी कारण उन्हें जब इतना बड़ा सम्मान मिला, तो वह अभिभूत हो गईं। ममता शंकर ने अपने करियर में 50 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। जिनमें 'दूरत्व' (1978), 'एक दिन प्रतिदिन' (1979), 'खारिज' (1982), 'गृहयुद्ध' (1982), 'शाखा प्रशाखा' (1991), 'अगंतुक' (1991) और हालिया फिल्म 'प्रजापति' (2023) शामिल हैं।
उन्होंने इस सम्मान की घोषणा जनवरी में होने के तुरंत बाद कहा था कि मैं मृणाल दा (मृणाल सेन), माणिक दा (सत्यजीत रे) और बुद्धदेव दासगुप्ता को याद करती हूं, जिन्होंने करियर के शुरुआती दौर में मुझे मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर ममता शंकर के अलावा पश्चिम बंगाल के अन्य प्रतिष्ठित लोगों को भी पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया। इनमें उद्योगपति सज्जन भजनका, शिक्षाविद नागेंद्र नाथ राय और संत स्वामी प्रदीप्तानंद (कार्तिक महाराज) शामिल हैं। इन लोगों को व्यापार, कला, साहित्य, शिक्षा और आध्यात्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
कार्तिक महाराज ने कहा कि जो लोग भगवा वस्त्र पहनते हैं, वे पुरस्कारों या राज्य सम्मान की लालसा नहीं रखते। हालांकि, इस सम्मान से हमारी संस्था 'भारत सेवाश्रम संघ' को अपने परोपकारी कार्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। अन्य सम्मानित व्यक्तियों ने भी इस अवसर को गौरवपूर्ण बताया है और कहा कि यह सम्मान उन्हें विनम्र बना देता है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की घोषणा 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की थी।
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