युवाओं में तम्बाकू और निकोटिन उत्पादों के प्रति आकर्षण: डॉ.सूर्य कान्त

धूम्रपान के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है

युवाओं में तम्बाकू और निकोटिन उत्पादों के प्रति आकर्षण: डॉ.सूर्य कान्त

लखनऊ। जो तम्बाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिये उपयोग करते हैं। वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे बड़ी समस्या युवाओं में तम्बाकू और निकोटिन उत्पादों के प्रति आकर्षण है। आकर्षक बनाने तथा स्वाद,महक को बेहतर बनाने के लिए  बाहरी तत्व तथा एडिटिव्स को मिलाते हैं जिससे कि युवाओं में इसके प्रति आकर्षण बढ़ता है और वह  इसके आदी हो जाते हैं। ये बातें केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्य कान्त त्रिपाठी। डॉ. सूर्य कान्त, संस्थापक प्रभारी, तंबाकू निषेध क्लिनिक, रेस्पिरेटरी मेडिसिन , केजीएमयू बताते हैं कि भारत में तम्बाकू और धूम्रपान के कारण प्रतिवर्ष लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है, तथा इससे 25 तरह की बीमारियां तथा लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं, जिसमें प्रमुख हैं: मुंह का, गले का, फेफड़े का,प्रोस्टेट का, पेट का कैंसर और ब्रेन ट्यूमर आदि।

इसके साथ ही ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टीबी, हार्ट-अटैक, फॉलिज, नपुंसकता, माइग्रेन, सिरदर्द, बालों का जल्दी सफेद होना, रक्त  संचरण प्रभावित  होना, ब्लड प्रेशर की समस्या, सांस फूलना तथा  नित्य क्रियाओं में अवरोध हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान  करने से कम वजन के नवजात का जन्म होना, गर्भस्थ की मृत्यु या नवजात की मृत्यु या बच्चे  को जन्मजात बीमारियां होने आदि का खतरा होता है। बलरामपुर अस्पताल के परामर्शदाता व कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.राजेंद्र चौधरी ने बताया कि   तम्बाकू और उसके उत्पादों का सेवन न केवल शारीरिक रूप से नुकसान दायक होता है बल्कि पारिवारिक, आर्थिक और मानसिक रूप से भी यह प्रभावित करता है । 

तम्बाकू के सेवन से व्यक्ति को जान से हाथ तक  धोना पड़ सकता है जिसका खामियाजा उसका परिवार भुगतता है।   डॉ. चौधरी बताते हैं कि तम्बाकू एवं इसके उत्पादों के सेवन से कैंसर सहित कई जानलेवा बीमारियां हो सकती है। तम्बाकू किसी भी रूप में लें चाहे ,हुक्का, तंबाकू युक्त पान मसाला, मिसरी,  बीड़ी , सिगरेट, गुल  हो या एवं अन्य धुआं रहित तंबाकू,शोध बताते हैं कि सभी में  4000 से अधिक विषैले और कैंसर कारक तत्व मौजूद होते हैं, जिससे मुंह का कैंसर सहित अन्य प्रकार के कैंसर व शारीरिक समस्याएं हो सकती है।  

लगभग 85 से 90 फीसद मुंह का कैंसर तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्तियों में होते हैं। कैंसर के अलावा टीबी, फेफड़े एवं सांस संबंधी रोग ज्यादा गंभीर स्थिति में पहुंच सकते हैं और जिनका इलाज भी लम्बे  समय तक चलता है। तंबाकू उन्मूलन केंद्र की परामर्शदाता डा. रजनी ने बताया कि राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल बलरामपुर में तंबाकू उन्मूलन केंद्र है। जहां पर लोगों को तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाता है तथा इस आदत से छुटकारा दिलाने में मदद की जाती है । 

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