स्वास्थ्य के निर्माण में योग की भूमिका महम : डॉ. हर्षवर्धन
लखनऊ। योग केवल व्यायाम का एक रूप नहीं है,बल्कि यह एक ऐसी जीवनशैली है जो मन और शरीर के बीच संतुलन और सामंजस्य को बढ़ावा देती है। आसन (मुद्राएं),प्राणायाम (सांस लेने की तकनीक) और ध्यान के माध्यम से योग तनाव को कम करता है,लचीलापन बढ़ाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है और मानसिक स्पष्टता प्रदान करता है।
योग दिवस लोगों को इस समग्र अभ्यास को अपनाकर अधिक संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। वर्ष 2025 का विषय “योग स्वास्थ्य के निर्माण में योगदान देता है” इस बात पर केंद्रित है कि कैसे योग जीवनशैली संबंधी बीमारियों की रोकथाम में एक प्रभावी उपकरण बन जाता है और जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान को एस एस अग्रवाल सभागार में सामान्य अस्पताल, एसजीपीजीआईएमएस के सहयोग से अस्पताल प्रशासन विभाग द्वारा आयोजित एक व्यापक और प्रभावशाली कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत एसजीपीजीआईएमएस के चिकित्सा अधीक्षक और अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख डॉ. आर. हर्षवर्धन ने की। उन्होंने कहा कि योग हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके में सामंजस्य लाता है। संस्थान के "योग और जीवन संतुलन" के मिशन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि "जीवनशैली रोगों की रोकथाम और पूरक चिकित्सा के रूप में आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में योग अत्यंत प्रासंगिक है।" इसके बाद एसजीपीजीआईएमएस के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता ने "योग एक जीवन शैली है।
सिर्फ व्यायाम नहीं" पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने समझाया कि योग सिर्फ एक अभ्यास नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है, जो समग्र अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घकालिक खुशी की ओर ले जाता है। प्रो. आर. एसजीपीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. धीमान ने "योग और दैनिक जीवन: सक्रिय और सतर्क रहने का तरीका" विषय पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने बताया कि योग केवल योग मैट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें हर पल में मौजूद रहना सिखाता है - चाहे हम चल रहे हों या खा रहे हों, काम कर रहे हों या आराम कर रहे हों।
टिप्पणियां