विद्युत निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का अंदरुनी निर्णय
By Tarunmitra
On
लखनऊ: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि अगर कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे तो कथित डिस्कॉम एसोशिएसन भी सरकार की नीति नहीं तय करेंगे. समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि घंटों चलने वाली वीडियो कान्फ्रेंसिंग बिजली आपूर्ति के लिए साधक नहीं, बल्कि बाधक होती है. आज लगातार 188 वें दिन बिजली कर्मियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन जारी रखा. कहा कि आंदोलन जारी रहेगा.
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के इस बयान की कि सरकार की नीति कर्मचारी संगठन तय नहीं करेंगे पर पलटवार करते हुए कहा है कि सरकार की नीति कथित आल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएशन भी नहीं तय करेगी.
संघर्ष समिति ने बताया कि नवंबर 2024 के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में विद्युत वितरण निगमों की एक मीटिंग पांच सितारा होटल में हुई. इसी बैठक में सुधार के नाम पर विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का निर्णय लिया गया. इस मीटिंग में ऑल इंडिया डिस्कॉम एसोशिएसन के नाम से एक संगठन गठित कर लिया गया. इस संगठन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. आशीष गोयल बन गए और कोषाध्यक्ष दिल्ली की निजी कंपनी के सीईओ बने.
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाने का अंदरुनी निर्णय इसी डिस्कॉम एसोशिएसन की बैठक में कार्पोरेट के साथ मिलकर लिया गया, जिसके जनरल सेक्रेटरी डॉ. आशीष गोयल हैं. संघर्ष समिति ने कहा कि यह निजी कॉरपोरेट अपने निहित स्वार्थ में उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर तुले हुए हैं.
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि सही है कि कर्मचारी संगठन सरकार की नीति नहीं तय करेंगे, लेकिन कर्मचारी संगठनों से नीतिगत मामलों पर विचार विमर्श किया जाता रहा है. पांच अप्रैल 2018 और छह अक्टूबर 2020 को ऊर्जा मंत्री और वित्त मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में कहा गया है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को विश्वास में लिए बिना प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र में कहीं पर भी कोई निजीकरण नहीं किया जाएगा. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को यह बताना चाहिए कि इन दोनों समझौता का सरासर उल्लंघन करते हुए उन्होंने निजीकरण का एकतरफा फैसला डिस्कॉम एसोशिएशन के गठन के चन्द दिन बाद कैसे कर दिया.
वर्ष 2000 में उप्र सरकार ने ऊर्जा निगमों में जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल बनाने का निर्णय लिया था. जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल के सामने नीतिगत विषय रखे जाते थे और इस काउंसिल में सभी मान्यता प्राप्त और बड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधित होते थे. पिछले 20 वर्षों से जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल की कोई बैठक नहीं हुई. जॉइंट मैनेजमेंट काउंसिल काम नहीं कर रही है. ऐसे में नीतिगत मामलों पर कर्मचारी संगठनों का पक्ष भी प्रबंधन और सरकार के सामने नहीं आ रहा है. इसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन के प्रबंधन की है.
संघर्ष समिति ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकों का सिलसिला कोरोना काल में शुरू हुआ था. कोरोना समाप्त हुए चार साल गुजर चुके हैं लेकिन अभी भी पावर कारपोरेशन के आलाअधिकारी वीसी कर रहे हैं.
संघर्ष समिति ने कहा कि अनावश्यक तौर पर लंबी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठकों के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है क्योंकि अभियन्ता इसी में फंसे रहते हैं, इसलिए जरूरी नहीं कि ऐसी बैठकों में अभियंता अपना समय नष्ट करें. अभियंताओं का मुख्य कार्य उपभोक्ताओं को इस भीषण गर्मी में बिजली आपूर्ति बनाए रखना है और उनकी यही प्राथमिकता है.
About The Author

‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
Related Posts
अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें
Latest News
05 Jun 2025 18:57:49
कौशाम्बी। जिले के सैनी थाना क्षेत्र में लोंहदा प्रकरण को लेकर आक्रोशित ग्रामीण ने पुलिस कार्रवाई से नाराज होकर कानपुर...
टिप्पणियां