वर्दी की हनक में दरोगा बना हैवान

ट्रैफिक सिग्नल तोड़कर सैन्य अधिकारी की कार में मारी टक्कर, विरोध पर की पिटाई, फिर कुचलने की कोशिश

वर्दी की हनक में दरोगा बना हैवान

पीजीआई,लखनऊ। तेलीबाग चौराहे पर कानून का रखवाला खुद कानून तोड़ता दिखा। सिग्नल तोड़कर गलत दिशा से आ रही एक सफेद ब्रेज़ा कार ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल की कार में टक्कर मार दी। कार चला रहा व्यक्ति कोई आम नागरिक नहीं, बल्कि पुलिस महकमे में तैनात एक उप निरीक्षक (सब इंस्पेक्टर) था, जो वर्दी की धौंस में इतना चूर था कि टक्कर के बाद पीड़ित से माफी मांगने की बजाय उल्टा उस पर हाथ उठा बैठा।

पीड़ित सैन्य अधिकारी आनंद प्रकाश सुमन, जो वर्तमान में एनसीसी बिहार-झारखंड यूनिट में लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर तैनात हैं, किसी परिचित से मिलने पीजीआई की ओर जा रहे थे। सिग्नल पर जैसे ही उनकी गाड़ी बढ़ी, सामने से नियम तोड़कर आई दरोगा की ब्रेज़ा ने टक्कर मार दी। विरोध करने पर दरोगा अपनी गाड़ी से उतरा और सैन्य अधिकारी पर थप्पड़ों की बरसात कर दी।

घटना यहीं नहीं रुकी लेफ्टिनेंट कर्नल आनंद प्रकाश सुमन जब अपनी कार से उतरे और दरोगा को रोकने का प्रयास किया, तो दरोगा ने उन्हें कुचलने की नीयत से गाड़ी चढ़ा दी। अधिकारी के पैर पर चढ़ते हुए वह फरार हो गया।

ट्रैफिक पुलिस बनी मूकदर्शक सीसी टीवी देखने की सलाह देकर पल्ला झाड़ा
इस गंभीर घटना के दौरान चौराहे पर तैनात ट्रैफिक पुलिस सिर्फ तमाशा देखती रही। जब उनसे जानकारी चाही गई तो जवाब मिला-"हम चौराहा चलाते हैं, लड़ाई-झगड़ा नहीं देखते, जाओ सी सी टीवी देखो। इस गैरजिम्मेदाराना रवैये से न केवल पुलिस विभाग की छवि पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है, बल्कि यह भी जाहिर होता है कि आम जनता तो दूर, सेना के अधिकारी भी अब सुरक्षित नहीं हैं।

कोतवाली में दी गई तहरीर, लेकिन दरोगा की कार का नंबर अब तक अज्ञात
लेफ्टिनेंट कर्नल सुमन ने घटना की तहरीर पीजीआई कोतवाली को दी है। प्रभारी अतिरिक्त इंस्पेक्टर विनोद कुमार पांडे के अनुसार, मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। लेकिन हैरत की बात यह है कि आरोपी दरोगा की कार का नंबर अब तक ट्रेस नहीं किया जा सका है।

सवाल यही है जब वर्दीधारी ही बेलगाम हो जाएं, तो कानून की रक्षा कौन करेगा? और क्या ट्रैफिक पुलिस की ड्यूटी अब सिर्फ सिग्नल चालू रखने तक सिमट गई है? यह घटना न सिर्फ एक अफसर पर हमले की है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा करती है। अगर अब भी ऐसे बेलगाम दरोगाओं पर कार्रवाई नहीं होती, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की कल्पना बेमानी है।

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