प्रतापगढ़ में जगी विकास की आस--सरकारी तंत्र को सुधारने में जुटे हैं प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी को प्रतापगढ़ में आए हुए 3 माह से अधिक समय बीत गया। भौगोलिक जानकारी के साथ-साथ यहां के जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं आम जनता की विचारधाराओं से वह वाकिफ हुए। जिलाधिकारी अवस्थी की कार्यशैली को देखने से लगा कि अनेक विभागों में कागजी आंकड़ों और बैठकों से हटकर वास्तविक जानकारी हेतु स्थलीय निरीक्षण करने में अधिक विश्वास रखते हैं और बीच-बीच में विभागीय कार्यालयों का भी निरीक्षण प्रारंभ कर दिया।
शुरुआती दौर में जिलाधिकारी ने सहायक क्षेत्रीय परिवहन विभाग और निबंधन कार्यालय सदर का आकस्मिक निरीक्षण किया जिससे विभागों में खलबली मच गई। वहां मौजूद रहे दलाल इधर-उधर भागते नजर आए। यह जग जाहिर है कि इन दोनों विभागों में दलालों/ बिचौलियों की लंबी कतार होती है। इसी क्रम में 04 अप्रैल की सुबह जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी ने विकास भवन का औचक निरीक्षण किया जिसमें अनेक विभागों के कुल 14 कर्मचारी अनुपस्थित मिले थे।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को कारण बताओं नोटिस व प्रतिकूल प्रविष्टि दिया जिसके परिणाम स्वरुप वहां के अधिकारी और कर्मचारी अब नियत समय पर आने लगे हैं अन्यथा राम राज्य था क्योंकि विगत दो वर्षों से किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा विकास भवन का निरीक्षण नहीं किया गया था। देखा जाए तो शासनादेश के मुताबिक सभी अधिकारी और कर्मचारी को मुख्यालय पर ही रात्रि निवास करने का आदेश है फिर भी 20% ऐसे अधिकारी कर्मचारी हैं जो मुख्यालय छोड़कर निकटवर्ती जनपदों में स्थित आवास पर रात्रि निवास करते हैं जो अनियमित है।
जिलाधिकारी अवस्थी द्वारा जहां एक और अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यों को लेकर सख़्ती दिखाई जा रही है तो वहीं दूसरी ओर कर्मियों की समस्याओं की सुनवाई 17 अप्रैल को विकास भवन में मेगा कैंप के आयोजन की नई पहल डीएम द्वारा की गई जिसमें 26 कर्मचारियों ने विभिन्न समस्याओं को कैंप में रखा। डीएम ने सभी शिकायतों को गंभीरता से सुनते हुए संबंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश दिया कि 15 दिनों में कर्मियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर कर दिया जाए।
इसी तरह जिलाधिकारी ने अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर 15अप्रैल को कलेक्ट्रेट परिसर का निरीक्षण पैदल भ्रमण कर विभिन्न व्यवस्थाओं को दिखा। डीएम ने कलेक्ट्रेट परिसर व शेडों की साफ सफाई करने व पेयजल आदि व्यवस्थाओं हेतु नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को निर्देशित किया। पीडब्ल्यूडी के एक्सियन को निर्देशित किया कि पुरानी बिल्डिंग को ध्वस्तीकरण कर नए शेड का निर्माण कराया जाय। बताते चलें कि विगत 2 वर्षों में यह पहली बार डीएम ने कलेक्ट्रेट परिसर का निरीक्षण किया जिससे वकीलों ने डीएम की प्रशंसा की।
वहीं यह अनुभव किया गया कि संपूर्ण समाधान दिवस में विगत 3 वर्षों में पूर्व जिला अधिकारी द्वारा अधिकतम 7,8 शिकायतों का ही निस्तारण किया जाता रहा परंतु 5 अप्रैल को सदर तहसील में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संपूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया गया जिसमें 204 प्राप्त शिकायतों में 28 शिकायतों का निस्तारण मौके पर किया गया और 19 अप्रैल को पट्टी तहसील के संपूर्ण समाधान दिवस में प्राप्त 234 शिकायतों में 35 शिकायतों का निस्तारण डीएम ने मौके पर कराकर कमाल कर दिया जिससे फरियादियों में आशा की किरण दिखाई पड़ी कि उनकी समस्याओं का हल अब हर- हालत में होगा। उन्होंने उक्त दिवस पर अधिकारियों को सचेत करते हुए कहा कि शिकायतों के निस्तारण में शिथिलता पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी और कोई भी गरीब व्यक्ति किसी कल्याणकारी योजना से वंचित न रह जाए. डीएम के इस कड़े तेवर को देख जहां एक और अधिकारी सकते में आ गए तो वहीं दूसरी ओर जनता में समाधान दिवस के प्रति विश्वास हो चला है।
अभी मुश्किल से पट्टी में समाधान दिवस बीते 12 दिन हुए ही थे कि जिलाधिकारी अपने लाव-लश्कर के साथ इस भीषण गर्मी में रानीगंज स्थित सीएचसी का औचक निरीक्षण करने पहुंच गए। डॉक्टर और कर्मियों में अफरा- तफरी मच गई। डीएम ने अवैध रूप से संचालित तीन मेडिकल स्टोर को सीज़ कराया, दवाएं जप्त की गई। दवाओं के स्टोर रूम को चेक किया और चीफ फार्मासिस्ट के विरुद्ध निलंबन की कार्यवाही की गई। बाद में नगर पंचायत रानीगंज का भी निरीक्षण करने पर देखा कि अमृत सरोवर सूखा था,पानी नहीं भरा था जिस पर उन्होंने ईओ रानीगंज को चेतावनी देते हुए 3 दिन के अंदर पानी भरने का आदेश दिया। यहीं पर डीएम को यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि जनपद में कुल 18 नगर पंचायत हैं जिनके बड़े-बड़े टेंडर समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं परंतु कार्यों की जमीनी हकीकत से भी वाकिफ़ होना आवश्यक है क्योंकि शहर में स्थित नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी तथ्यों से परे होकर भ्रामक बयान देने में दिलचस्पी रखते हैं और वास्तविकता कुछ और रहती है तो नगर पंचायत के कार्य खस्ता हाल ही होंगे। बहरहाल डीएम के सख्त तेवर को देख सभी विभागाध्यक्ष एलर्ट हो गए हैं।
जिलाधिकारी शिव सहाय अवस्थी की मंशा है की सरकारी तंत्र यदि सुचारू रूप से और पूर्ण निष्ठा के साथ कार्यों का संपादन करेगा तो निश्चित है कि जनपद का चतुर्मुखी विकास होगा। गरीब जनता को अनेक चल रही योजनाओं से लाभान्वित किया जा सकेगा और हर फरियादियों को इंसाफ मिल सकेगा।
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