हैल्थ बजट जीडीपी का 5% व टोटल बजट का 8% होना ज़रूरी : डॉ बीपीएस त्यागी
स्वास्थ्य प्रभारी डाॅ. बीपीएस त्यागी राष्ट्रवादी जनसत्ता दल ने कहा हैल्थ इंस्ट्रूमेंट जो बाहर से आते हैं या तो उनको भारत में बनवाया जाए या उन पर कस्टम ड्यूटी कम हो, इमरजेंसी ड्रग्स पर जीएसटी हटाई जाये
गाजियाबाद, ( तरूणमित्र ) एडिप स्कीम में डीआरडीओ का बनाया हुआ कोचलीयर इंप्लांट जिसकी क़ीमत 8000/हजार रुपये है। टीबी को अगर 2025 तक ख़त्म करना है तो उनको हर टैक्स से फ्री किया जाये। भारत में बेड और डॉक्टरों की बहुत कमीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 1000 लोगों पर अस्पतालों में सिर्फ 0.5 बेड उपलब्ध हैं. यहां 143 करोड़ लोगों के लिए सिर्फ 1.25 लाख आईसीयू बेड हैं. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या भी वैश्विक मानकों से बहुत कम है, 1000/ हजार की जन संख्या पर WHO के हिसाब से एक एम बी बी एस डॉक्टर व तीन स्टाफ नर्स होनी चाहिए, लेकिन हमारे राज्य में इसके विपरीत 17500 की जनसंख्या पर 1 एम बी बी एस डॉक्टर व 10 स्टाॅफ नर्स हैं। फाइनेंस कमीशन के हिसाब से टोटल बजट का 8% हेल्थ पर खर्च होना चाहिए लेकिन यहां भी टोटा ये भी सिर्फ 3.5% ही दिया जाता है। उसमें भी नीचे से ऊपर तक सुविधा शुल्क के चलते 3.5% भी खर्च नहीं हो पाता है। आयुष्मान कार्ड बनाने व उसका भुगतान करने में भी सुविधा शुल्क बीच में आ जाती है। इस लिहाज से हैल्थ के प्रति अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है, इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया जाए।
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