गुजरात मॉडल पर ऊर्जा मंत्री करें काम, नहीं तो छोड़ दें पद
बिजली निजीकरण के विरोध में लखनऊ व चंडीगढ़ में हुआ व्यापक विरोध प्रदर्शन
लखनऊ। बिजली निजीकरण के विरोध में गुरुवार को हुए प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा चंडीगढ़ में भी भारी विरोध प्रदर्शन किया गया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के अनुसार प्रदेश के ऊर्जा मंत्री द्वारा भ्रामक आकड़े देकर बिजली कर्मचारियों पर चोरी का आरोप लगाने से बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। आगे उन्होंने कहा कि यदि विभागीय मंत्री ने विफलता मान ली है तो पद छोड़ दें। दावा करते हुए कहा कि बिजली निजीकरण के निर्णय के विरोध में पूरे देश में 27 लाख बिजली कर्मचारी सड़कों पर उतर गये।
बिजली कर्मचारियों ने मांग की कि उप्र में बिजली के निजीकरण का जनविरोधी निर्णय वापस लिया जाये। देशभर के बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उप्र में बिजली के निजीकरण की कोई भी एकतरफा कार्रवाई शुरू की गई तो उसी समय बिना और कोई नोटिस दिये देश भर के बिजली कर्मचारी आन्दोलन शुरू करने को बाध्य होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी उप्र सरकार और उप्र पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।
इसी क्रम में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीदों के सपनों का भारत बनाओ- बिजली का निजीकरण हटाओ नारे के साथ समस्त जनपदों औरं परियोजना मुख्यालयों पर सभायें की और निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। राजधानी लखनऊ सहित मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, अनपरा, ओबरा, पनकी, हरदुआगंज, पारीछा, जवाहरपुर में बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किये।
राजधानी में हाईडिल फील्ड हास्टल में इस अवसर पर एक नाट्य प्रस्तुति की गयी। नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बिजली आम आदमी की जीवन रेखा है और इसे कारपोरेट घरानों को देने से आम जन का भविष्य चौपट हो जायेगा। राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने काकोरी क्रांति के अमर शहीदों को श्रद्धा-सुमन अर्पित किये।
एक साल के लिये सबसे खराब डिवीजन देकर देखें...!
संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री इस मामले में प्रदेश को गुमराह कर रहे हैं। गुजरात में चारों विद्युत वितरण निगम सरकारी क्षेत्र में है। गुजरात में लाइन हानियां सबसे कम हैं और अबाध विद्युत आपूर्ति मिलती है। उनके सामने कई बार यह प्रस्ताव रखा है कि यदि गुजरात की तरह उप्र के ऊर्जा मंत्री द्वारा दृढ़ इच्छा शक्ति का परिचय दिया जाये और बिना किसी हस्तक्षेप के बिजली कर्मियों को काम करने दिया जाये तो प्रदेश की बिजली व्यवस्था देश में अव्वल होगी।
अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि संघर्ष समिति के बार-बार कहने पर सरकारी क्षेत्र के गुजरात मॉडल की जगह ऊर्जा मंत्री चंद कारपोरेट घरानों के हाथ अरबों-खरबों रुपए की परिसम्पत्तियां बिना मूल्यांकन किये कौड़ियों के मोल सौंपना चाहते हैं।
संघर्ष समिति ने फिर कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के सबसे खराब एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी संघर्ष समिति को दी जाये और प्रयोग के तौर पर 1 साल के लिए ऐसे ही एक डिवीजन या एक जनपद की जिम्मेदारी किसी निजी कम्पनी को दी जाये। एक वर्ष के बाद संघर्ष समिति निजी क्षेत्र से बेहतर परफॉरमेंस देकर दिखा देगी।
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