संगम जल से स्नान करने से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
लखनऊ। बसंत पंचमी के अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेट मेडिसन के तत्वावधान में महाकुंभ 2025 नामक कार्यक्रम का आयोजन योग सभागार मे किया गया। उद्घाटन कलश पूजन व सरस्वती वंदना से हुआ। फैकल्टी समन्वयक डॉ अमरजीत यादव ने बताया कि महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा अध्यात्मिक आयोजन है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक और सामाजिक घटना भी है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते है।
महाकुंभ का महत्व न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में है, क्योंकि यह आस्था, विश्वास और एकता का प्रतीक है। कुम्भ मे श्रद्धापूर्वक स्नान करने से तन ही नहीं अपितु मन भी प्रभावित होता है। संगम के जल मे स्नान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। कुम्भ के अध्यात्मिक माहौल से शरीर की चेतना प्रकाशित होती है, जिससे श्रद्धालुओ के शरीर, मन तथा आत्मा मे समन्वय स्थापित होता है।
वैज्ञानिक प्रमाण है कि संगम के जल के आचमन से गले एवं पेट के रोगों मे लाभ प्राप्त होता है। प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर ने बताया कि कुम्भ हमें अध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। जिससे व्यक्ति का अध्यात्मिक एवं नैतिक विकास होता है। शरीर की शक्तियों का जागरण होता है। योगाचार्य राजेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि महाकुंभ भारतीय अध्यात्मिकता का महाकुंभ है। कुम्भ में प्रतिभाग करने से मन की चंचलता पर नियंत्रण प्राप्त होता है और मानसिक विकास होता है।
टिप्पणियां