गांव में टीबी का खतरा, 37 संदिग्धों की जांच
बलरामपुर। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर इलाके के ओरंगा गांव में बीते दिनों टीबी की बीमारी से एक युवती की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के संभावित मामलों को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। एक दिन पहले ही यहां अठारह साल की युवती में टीबी की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया और 37 संदिग्ध मरीजों की पहचान की। इन सभी लोगों की जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें से कितनों को टीबी है या नहीं। ये सभी ऐसे लोग हैं, जिनका सीधे तौर पर टीबी के मरीजों से संपर्क रहा है या जिनमें लंबे समय से लगातार खांसी की शिकायत है। टीम ने जांच के लिए इन लोगों के सैंपल लिए हैं और उनका परीक्षण लैब में कराया जा रहा है। सीएमएचओ बसंत सिंह ने आज शनिवार को बताया कि, गांव में टीबी की बीमारी से निपटने नियमित निगरानी की जा रही है।
ओरंगा गांव को लेकर एक और गंभीर समस्या भी सामने आई है। यह गांव 2017 से 2019 के बीच सिलकोसिस नामक बीमारी की चपेट में रहा है। सिलकोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो खासतौर पर खदानों में काम करने वाले मजदूरों को होती है। इस बीमारी में फेफड़ों में बुरादा जम जाते है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। यह बीमारी फेफड़ों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है। ओरंगा गांव के लोग यूपी के क्रशर खदानों में काम के लिए जाते रहे हैं, जिससे उनकी सेहत पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आगे बताया कि, टीबी के मरीजों की पहचान और समय पर इलाज के लिए शिविर लगाया गया था। इसके साथ ही लोगों को बीमारी की जानकारी देने और टीबी से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाने को कहा है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो खांसी, बुखार, वजन कम होना और रात को पसीना आने जैसे लक्षणों से पहचानी जाती है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए गांव में सभी संदिग्ध लोगों की जांच तेज कर दी है।
रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी
ओरंगा गांव में अब तक कुल 37 लोगों को सस्पेक्टेड माना गया है, जिनकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यदि टीबी के मामले पाए गए तो मरीजों को तुरंत दवा और उपचार मुहैया कराया जाएगा, ताकि बीमारी का प्रसार न हो। अधिकारियों का कहना है कि, लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और खांसी या सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करना चाहिए। साथ ही टीबी के इलाज में देर न करें, क्योंकि यह बीमारी पूरी तरह इलाज योग्य है।
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