'प्रभु की कृपा भयऊ सब काजू, जन्म हमार सुफल भा आजू'

ऐतिहासिक गौरवमयी स्वर्णिम दिन के साक्षी बने सनातनी

'प्रभु की कृपा भयऊ सब काजू, जन्म हमार सुफल भा आजू'

 सात समुन्दर पार भी भारतीय संस्कृति की झलक

अयोध्या। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सुंदर कांड की यह चौपाई ‘प्रभु की कृपा भयऊ सब काजू, जन्म हमार सुफल भा आजू’ बारम्बार याद आ रही है और कुछ इसी तरह का भाव मन में लिए कोई खुशी से नाच रहा था तो कोई मिठाई खिलाकर बधाइयां बांट रहा था। सभी लोग एक दूसरे को ‘जय श्रीराम’ कह कर अभिवादन कर रहे थे और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान कर रहे थे। कहीं आतिशबाजी की जा रही थी तो कहीं दीये जलाए जा रहे थे।

घर, मंदिर एवं परिसर में अखंड रामायण पाठ, सुंदर कांड, भजन-कीर्तन आदि मंगल कार्य किए जा रहे थे। कमोबेश यही स्थिति देश भर की थी। दीपावली सा माहौल देश भर में देखा गया। अयोध्या नगरी तो दुल्हन की तरह सजी हुई थी। ऐसा लग रहा था मानो अयोध्या का पुराना गौरवमयी अतीत वापस लौट आया हो। सोशल मीडिया पर भी राममय माहौल था। सात समुन्दर पार भी अनेक देशों में भारतीय संस्कृति की भगवा ध्वजपताका पूरे शान से फहरा रही थी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखकर सभी देशवासी एवं प्रवासी भारतीयों में नवचैतन्य का संचार हुआ और सभी का रोम-रोम हर्षित हो उठा। लोग अपनी भावनाओं को शब्दों में बखान नहीं कर पा रहे थे। इस कार्यक्रम का सभी न्यूज चैनलों पर सजीव प्रसारण किया जा रहा था। पूरा देश कुछ समय के लिए थम सा गया था। सभी लोग अपने-अपने घरों में परिवारजनों के साथ सजीव प्रसारण देख रहे थे। चारों ओर से केवल टीवी पर वेदमंत्रों की पवित्र ध्वनि कानों को सुनाई दे रही थी। घर बैठे ही ऐसा लग रहा था मानो लोग तन से न सही, लेकिन मन से अयोध्या पहुंच गए हैं

और प्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम स्थल पर बैठकर इस अद्भुत दृश्य को अपनी आंखों से देख रहे हैं। भारत सहित पूरे विश्व भर में फैले करोड़ों-करोड़ों लोग एकसाथ इस ऐतिहासिक गौरवमयी स्वर्णिम दिन के साक्षी बने। राष्ट्रधर्म के लिए समर्पित कर्तव्यपरायण प्रधानमंत्री मोदी ने जब रामलला के समक्ष साष्टांग दंडवत प्रणाम किया तब पूरा देश प्रफुल्लित होकर नतमस्तक हो गया और भाव-विभोर होकर भक्ति के महासागर में डुबकी लगाने लगा। सभी का हृदय गदगद हो गया। सभी श्रद्धालुओं की अंतरात्मा राममय हो गई। इस अविस्मरणीय ऐतिहासिक दृश्य को देखकर किसी की आंखों से आंसू छलके तो किसी के चेहरे पर मधुर मुस्कान दिखाई दी।

अपार आत्मगौरव की हुई अनुभूति:-
प्रवासी भारतीय भले ही अपने मातृभूमि से दूर हों, लेकिन उनके दिलों की धड़कनें भारत के लिए धड़कती रहती हैं। भारतीय संस्कृति संस्कार को उन्होंने संजोकर रखा है। भारत की हर हलचल पर वह नजर बनाए रखते हैं। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बनने का इंतज़ार वह भी लंबे समय से कर रहे थे। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखकर वह भी फूले नहीं समा रहे थे। उन्हें अपार आत्मगौरव की अनुभूति हुई।

Tags: Ayodhya

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