पटना ( अ सं ) ।खनन घोटाला में पड़ोसी राज्य के सीएम को ई डी तलाश रही है । सूबे के पदाधिकारी भी अवैध खनन में लिप्त ठेकेदारों को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे है । ख़ानापूर्ति के लिए सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल खगौल एवं ज़िला खनन कार्यालय ने दो - दो पत्र भेजकर बालू ठेकेदारों ( बंदोबस्तधारी ) से स्पष्टीकरण की मांग किया है लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी कोई जबाब दोनों विभाग को प्राप्त नहीं हुआ है । सरकारी के सबूत के बाद भी दोनों विभाग ने संबंधित बालू ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई से कतरा रहीं है । मामला संज्ञान में आने के बाद ज़िलाधिकारी पटना ने अवैध खनन एवं सीआ निर्देशिका के उल्लंघन करने वाले 5 बालू ठेकेदारों की जांच के लिए 5 सदस्यीय समिति गठित किया है । ज़िलाधिकारी ने निर्देश दिया है की उल्लेखित बालू घाटों का स्थल निरीक्षण करते हुए डीएम कार्यालय को अविलंब प्रतिवेदन समर्पित करना सुनिश्चित करें । साथ ही कार्यपालक अभियंता, सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल खगौल को निर्देश दिया जाता है की सोन नदी क्षेत्र का सतत् निगरानी रखना सुनिश्चित करेंगे तथा उल्लंघन होने हर हाल में कार्रवाई करते हुए ज़िलाधिकारी कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे । उक्त आदेश तत्कालीन ज़िलाधिकारी ने बीते दिनांक 30/12/2023 को किया था । एक माह बीत जाने के बाद भी गठित समिति ने कोई कार्रवाई नहीं किया है ।
बालू खनन माफिया के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कई जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता मणीभूषण प्रताप सेंगर ने कहां की सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने निरीक्षण कर रिपोर्ट किया था स्पष्टीकरण का जबाब नहीं आने पर संबंधित बालू ठेकेदारों के खिलाफ एफ़आइआर की कार्रवाई खनन विभाग को करना चाहिए था , सीधे तौर पर सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल के पदाधिकारी को भी चाहिए की नदी के नुक़सान करने वाले के खिलाफ एफ़आइआर करें । ज़िलाधिकारी पटना के संज्ञान में जब अवैध खनन एवं सोन नदी नुक़सान की बातें सामने आयी है तों एफ़आइआर का निर्देश दें । उक्त बालू ठेकेदारों ने स्पष्टीकरण का जबाब नहीं दिया या / या संतोषजनक जबाब नहीं आया इस स्थिति में खनन विभाग को संज्ञान में आते ही उसी दिन से बालू खनन रोक देना चाहिए था और बिहार खान एवं खनिज मैनुअल के तहत उक्त ठेकेदारों ( बंदोबस्तधारियों ) को दंडित करना चाहिए था । ऐसा नहीं करना सिर्फ़ लापरवाही नहीं बल्कि अवैध बालू खनन के लिए प्रेरित करना भ्रष्टाचार के संज्ञा में आता है ।
जांच टीम में गठित पदाधिकारी
ज़िलाधिकारी पटना ने अवैध बालू खनन करने वाले ठेकेदारों ( बंदोबस्तधारियों ) के खिलाफ 5 सदस्यीय समिति गठित किया है । गठित समिति में कार्यपालक अभियंता, सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल खगौल को अध्यक्ष, अनुमंडल पदाधिकारी- पालीगंज को सदस्य , अंचलाधिकारी पालीगंज व दुल्हिनबाजार को सदस्य एवं दो खान निरीक्षक, ज़िला खनन कार्यालय- पटना को सदस्य नामित किया है । ज़िलाधिकारी ने समिति के अध्यक्ष के निर्देश दिया है की अवैध खनन व नदी के नुक़सान से संबंधित जो बातें सामने आयी हैं उसकी जांच समिति अविलंब कर कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट करें । ज़िलाधिकारी ने संबंधित सभी पदाधिकारी को ज्ञापांक- 4489 द्वारा सूचित कर दिया है । सूत्रों की मानें तो आपसी समन्वय में सामंजस्य की स्थिति है , कारण चाहें जो भी हो …..
क्या है आरोप और कौन - कौन है ठेकेदार
सोन नदी सुरक्षा बांध/ तटबंध को क्षतिग्रस्त कर नदी के अस्तित्व को समाप्त करने एवं आर्थिक नुक़सान पहुंचाने के संबंध में अविलंब कार्रवाई हेतु शिकायतकर्ता ने संबंधित विभाग को दिनांक- 06/12/23 को आवेदन दिया था । शिकायतकर्ता के उठाए विषय पर सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल खगौल के कार्यपालक अभियंता के नेतृत्व में दिनांक 12/12/2023 को सोन नदी में बालू खनन कार्य का निरीक्षण किया गया था । निरीक्षण के क्रम में टीम ने पाया की पटना सोन बालू खंड- 3 ( मे राणा इंटरप्राइजेज - मालिक- राणा सौरभ, करसा कोठी, बिक्रम , ज़िला- पटना ) , सोन नदी खंड - 4 ( एक्लब्या स्टोन एंड माइंस प्राइवेट लिमिटेड , मालिक- निधि कुमारी एवं कुमारी प्रीति, पथरा, मुफ्फसिल , ज़िला- नवादा ) सोन नदी बालू घाट - 7 ( मोर मुकुट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड , निदेशक- लालती देवी , प्लॉट नं- 388/389 बिस्कुट फ़ैक्ट्री मोड़, नासरीगंज, दानापुर जिला - पटना ) सोन बालू घाट संख्या - 8 ( देवेन्द्र इक्यूप्मेंट , प्रो- कंचन कुमार सिंह, एम 448 लक्ष्मी निवास रोड नंबर- 4, कंकरबाग, पटना ) सोन बालू घाट संख्या- 10 ( मालिक संजय कुमार, एकबालगंज निसरपुरा , रानीतालाब, ज़िला- पटना ) ने घाटों पर रिवर एज को बिना अनाप्ति प्रमाण- पत्र ( एनओसी ) लिए काटकर मालवाहक गाड़ियों के आवागमन के लिए पहुंच पथ बनाया गया है , जो बिहार इरिगेशन एक्ट 1997 के चैप्टर 3 कंडिका 10 के विपरीत है । कार्यपालक अभियंता ने बिहार इरिगेशन एक्ट के कंडिका 82 ( h ) तथा 82 (i )का स्पष्ट उल्लेख किया है की बालू खनन ठेकेदारों ने नियमों का उल्लंघन किया है । नदी के मूल धारा को परिवर्तित करने का काम किया है । निरीक्षण के क्रम में यह पाया की बंदोबस्तधारियों ने बालू का खनन 3 मीटर से ज़्यादा कर जगह - जगह तालाब बना दिया है , जो सीआ के निर्देशित नियम 5 एवं 6 के विपरीत है ।
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