विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर किया जागरूक

आयुर्वेद महाविद्यालय में चिकित्सकों ने तम्बाकू के दुष्प्रभाव के बारे में बताया

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर किया जागरूक

प्रयागराज। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर श्री लालबहादुर शास्त्री स्मारक राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, हंडिया में तंबाकू के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।प्रधानाचार्य प्रो.विजय प्रकाश भारती के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में चिकित्सकों द्वारा तम्बाकू एवं इसके उत्पादों के दुष्परिणाम की जानकारी दी गयी।डा.भगवान दास ने बताया कि आधुनिक जीवन शैली के साथ युवाओं में शौक और दूसरों को रौब झाड़ने के लिए तम्बाकू और तम्बाकू उत्पादों के सेवन की लत बढ़ती जा रही है।कार्यक्रम संयोजक डा.अवनीश पाण्डेय ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में हृदयाघात के बाद तम्बाकू सेवन से होने वाली मौत का आंकड़ा सबसे बड़ा है। लोग इसके घातक परिणाम के बारे में जानते हैं, इसके बावजूद भी इस जहर से बच नही पाते हैं।
तम्बाकू का उपयोग कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, स्ट्रोक, बांझपन, अंधापन, टीबी रोग बढ़ाने का सबसे बड़ा कारक है।
उप चिकित्सा अधीक्षिका डा.प्रियंका सिंह ने कहा कि जो लोग नशे की लत से मुक्ति चाहते हैं उनके लिए इस चिकित्सालय के नशा मुक्ति केन्द्र बनाया गया है। जहाँ नियमित तम्बाकू, सिगरेट, शराब जैसी बुरी लत से छुटकारा पा सकते हैं।तम्बाकू निषेध दिवस केवल एक तारीख न बनकर एक चेतावनी होनी चाहिए जिससे लोगों में जागरुकता बढ़े। 
डा.पंकज मिश्रा ने कहा कि किसी भी लत को छोड़ने के लिए दो बातें सबसे जरूरी होती हैं। पहली - इच्छा शक्ति और दूसरी - संगत। सबसे पहले खुद तय करें कि तंबाकू से पीछा छुड़ाना है। किसी के कहने या दबाव डालने पर ऐसा न करें। यदि मन पक्का कर लेंगे तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।
तंबाकू एक दम से न छोड़ें। धीरे-धीरे मात्रा कम करें। रक्त में निकोटिन की मात्रा एकदम से कम होने पर समस्या हो सकती है।डा.दुर्गेश कुमार शुक्ल ने कहा कि तंबाकू एक तरह का जहर है जो सेवन करने वाले को धीरे-धीरे मारता है। लोग इसे शौक के रूप में शुरू करते हैं, लेकिन पता नहीं चलता कि यह कब लत बन जाता है, फिर इसके बिना रहा नहीं जाता है।
अगद तंत्र विभाग के डा अवध किशोर मिश्रा ने बताया कि
पैसिव स्मोकिंग अधिक खतरनाक है।पैसिव स्मोकिंग का मतलब है कि धूम्रपान नहीं करने वाले लोग जो किसी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति द्वारा छोड़े गए धुएं में ही सांस ले रहे होते हैं। जो लोग धूम्रपान के धुएं की चपेट में आ जाते हैं उन्हें सांस की बीमारी हो जाती है।ग्लोबल टोबैको हेल्थ सर्वे (गेट्स ) और नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस ) के अनुसार प्रदेश में हर साल घर पर ही रहने वाली 95 लाख महिलाएं व 91 लाख पुरुष पैसिव स्मोकिंग के शिकार होते हैं।
डा.नारायण आनंद दुबे,डा.आर.एस.वर्मा, डा.शिप्रा, डा.राकेश पाण्डेय   भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर चिकित्सकों एवं छात्रों ने रैली निकाल कर लोगों को तम्बाकू से बने उत्पादों से दूर रहने की शपथ दिलायी।
इस अवसर पर डा.भगवान दास, डा.अशोक कुमार, डा.प्रियंका सिंह, डा.पंकज मिश्रा, डा.अवनीश पाण्डेय, डा.अवध किशोर मिश्रा, डा.राकेश पाण्डेय, डा.नारायण आनंद दुबे, डा.आर.एस. वर्मा, डा.शिप्रा, डा.दुर्गेश कुमार शुक्ला एवं छात्र छात्रायें मौजूद रहे।

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