आनन्द मिश्र के निधन पर फैला शोक

राष्ट्रधर्म पत्रिका के पूर्व में रहे सम्पादक

आनन्द मिश्र के निधन पर फैला शोक

  • राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पदाधिकारियों ने व्यक्त की शोक संवेदना
लखनऊ। राष्ट्रधर्म पत्रिका के पूर्व में सम्पादक रहे आनन्द मिश्र लंबे समय से बीमारी के चलते निधन हो गया। जिसकी सूचना फैलते ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में शोक की लहर फैल गयी। बीते गुरूवार को बाराबंकी स्थित आवास पर आनन्द मिश्र का देहांत हो गया। उन्होंने अपनी लेखनी से गम्भीर विषयों के द्वारा पाठकों की बौद्धिक सम्पदा को बढ़ाने वाले विषयों को पठनीय तरीके से पत्रिकाओं में प्रकाशित करते रहे। उनकी मृत्यु की सूचना मिलते ही राष्ट्रधर्म प्रकाशन समूह के निदेशक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोज कान्त, राष्ट्रधर्म के प्रभारी निदेशक सर्वेश चंद्र द्विवेदी, सम्पादक प्रो. ओमप्रकाश पाण्डेय एवं प्रबंधक पवन पुत्र बादल सहित समस्त कर्मियों व पदाधिकारियों ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की।
 
साथ ही लखनऊ के राजेंद्रनगर स्थित राष्ट्रधर्म प्रकाशन संस्थान में उन्हें श्रद्धांजलि  अर्पित की गयी। ज्ञात हो कि अभय का जन्म उत्तर प्रदेश  हरदोई के ग्राम सहजनपुर हरदोई में 4 दिसम्बर, 1931 को साहित्यप्रेमी रामनारायण मिश्र विशारद तथा रामदेवी के घर में हुआ था। उन्होंने शिक्षा बीए तथा साहित्य रत्न की शिक्षा पाकर वे सरकारी सेवा में आ गये और प्रदेश शासन में विभिन्न जिम्मेदारियाँ निभाते हुए 31 दिसम्बर 1989 को वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्ति के बाद वे विश्व संवाद केन्द्र से जुड़े और उन्हें राष्ट्रधर्म के सम्पादन का गुरुतर दायित्व दिया गया।

उनके सम्पादकीय भी जनमानस का ध्यान आकृष्ट करने में बेहद समर्थ थे। अभय को हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा उर्दू का अच्छा ज्ञान रहा। सम्पादन करते समय कोई तथ्य गलत न चला जाये, इसका वे विशेष ध्यान रखते थे। देश-धर्म पर हो रहे हमलों और हिन्दुओं की उदासीनता से वे बहुत खिन्न रहते हैं; अपने सम्पादकीय में वे इसके बारे में बहुत उग्रता से लिखते हैं। एक बार एक लेखक ने 'अभय' को वैदिक रुद्राभिषेक से सम्बद्ध एक शोध पूर्ण गम्भीर लेख दिया गया।
 
उसे उन्होंने यह कहकर वापस कर दिया कि 'राष्ट्रधर्म' के पाठक के लिए यह बहुत बोझिल रहेगा, लेकिन जब वही लेखक उन्हें पेरिस-प्रवास काल से सम्बद्ध रुचिकर सामग्री पेरिस से ही भेजता रहा था, तो उसे उन्होंने बड़ी रुचि से प्रकाशित किया। उन्होंने बच्चों और युवाओं की अपनी भारतीय पौराणिक उपलब्धियों में रोचकता पैदा करने के लिए अनेक प्रकार से लेखन किया। समय के हस्ताक्षर, हमारे वैज्ञानिक, शिवा बावनी की टीका एवं हमारे दिग्विजयी पूर्वज सहित कई पुस्तकों की रचना की। अभय जी उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे। साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा, राजस्थान ने उन्हें सम्पादक शिरोमणि की उपाधि दी और छोटी खाटू पुस्तकालय राजस्थान से दीनदयाल स्मृति सम्मान प्राप्त हुआ। मध्य प्रदेश शासन ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
 
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