चुनावी भाषण में अमर्यादित भाषाओं का बदला स्वरूप: इप्सेफ

चुनावी भाषण में अमर्यादित भाषाओं का बदला स्वरूप: इप्सेफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो इसमें अब जन प्रतिनिधियों के चुनावी भाषण का स्वरूप अमर्यादित हो गया है। यह बातें इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने अपने वक्तव्य के दौरान कही। उन्होंने कहा है कि इसके पहले लोकसभा विधानसभा चुनाव में विद्वान राजनीतिक अपने चुनाव प्रचार भाषणों में असंसदीय व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप नहीं लगाते थे, वे अपनी पार्टी की नीतियों को उजागर करते थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकांश राजनीतिज्ञ अपने भाषणों में व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप कर आपसी गाली गलौज की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं जो देश की जनता को दूसरी दिशा में ले जाने कार्य हो रहा है।

वहीं राष्ट्रीय महासचिव  प्रेमचंद ने बताया कि इस प्रकार के भाषणों को जनता नापसंद कर रही है। इसका बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू का जिक्र करते हुए कहा कि भाषण के दौरान एक व्यक्ति ने उनके मंच पर एक जूता फेंक दिया तो पंडित नेहरू ने उस व्यक्ति से कहा कि वो दूसरा जूता भी फेंक देता तो किसी गरीब व्यक्ति को दे देंगे इस पर उस व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। मिश्र ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा वर्तमान चुनाव में समाचार पत्रों टीवी चैनल पर देखने से घृणा होने लगी है।  

उन्होंने सभी सम्मानित राजनीतिक नेताओं से आग्रह किया है कि व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप बंद करके बताएं कि संसद सदस्य बनने पर या सरकार बनने पर देश के विकास में क्या योगदान देंगे। समाज को एक आदर्श संदेश जाना चाहिए। उन्होंने चुनाव आयोग से  इसे रोकने के लिए कठोर कार्रवाई करने का आग्रह किया।

Tags: lucknow

About The Author

Latest News