फैसले का दिन: पंजा उठेगा या खिलेगा कमल?

*अपरान्ह तक नतीजों की उम्मीद

फैसले का दिन: पंजा उठेगा या खिलेगा कमल?

*झाँसी -ललितपुर में अलग अलग होगी मतगणना *मतदाताओं की एक ही अपेक्षा, नया सांसद जनहित की परवाह वाला मिले 

ललितपुर। 18वीं लोकसभा क़े गठन का निर्णायक समय आ चुका है। इसी क्रम में 46 झाँसी -ललितपुर लोकसभा सीट भी अहम मानी जा रही है जहाँ वर्तमान सांसद अनुराग शर्मा और कांग्रेस क़े इंडिया गठबंधन समर्थित प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य क़े बीच कांटे का मुकाबला हुआ, यह जनचर्चा है। हालांकि आज फैसले का दिन है और अपरान्ह तक यह तय हो जाएगा कि क्षेत्र से नया सांसद कौन होगा? फिर भी चर्चाओं का बाजार अब भी गर्म है। एग्जिट पोल्स क़े अनुसार झाँसी -ललितपुर सीट भाजपा को लगातार तीसरी बार जाती दिखाई दे रही है। 2014 में यहां से भाजपा ने उमा भारती को खड़ा किया और वे जीती भी। लेकिन क्षेत्र की उपेक्षा क़े आरोपों क़े चलते उनके संभावित विरोध को देखते हुए भाजपा ने 2019 में यहां से उद्योगपति अनुराग शर्मा को टिकट दे दिया। तब तक अनुराग क़े परिवार से उनक़े पिता दो बार सांसद, उनक़े चाचा एक बार विधायक और प्रदेश मंत्री रह चुके थे लेकिन उनका राजनीति से वास्ता शून्य था। क्षेत्रीय राजनेताओं की उपेक्षा कर उन्हें भाजपा ने टिकट दे तो दिया और मोदी लहर में वे जीत भी गए लेकिन पूरे 5 साल क्षेत्र की उपेक्षा और मतदाताओं से दूरी क़े गंभीर आरोप उमा भारती की तरह उनपर भी लगे। संगठन क़े आंतरिक सर्वे में भी उन्हें 2024 क़े लिए एंटी इंकम्बेसी का कारक माने जाने क़े बावजूद पार्टी ने उन्हें रिपीट किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री उप्र योगी आदित्यनाथ ने उनक़े पक्ष में सभाएं भी की। अमित शाह ने तो यहां तक वादा कर दिया कि अनुराग को जनता दोबारा जिताकर भेजे, वे उन्हें बड़ा बनाने की जिम्मेदारी लेते हैं। मतलब साफ़ है, अगर भाजपा केन्द्र में तीसरी बार सरकार बनाती है और अनुराग भी दोबारा जीतते हैं तो उन्हें केन्द्र में मंत्री बनाया जा सकता है। इसके बावजूद संगठन क़े कतिपय जिम्मेदारों की उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों की उनके प्रति नाराजगी का भाव अनुराग की जीत क़े प्रति शंका उत्पन्न कर रहा है। सर्वे और पोल्स उनकी जीत अवश्य दिखा रहे हों लेकिन जनचर्चाओं और मतदान क़े लिहाज से इंडिया गठबंधन प्रत्याशी प्रदीप जैन भी कड़े मुकाबले में बने हुए हैं। यहां अनुराग को अगर मोदी की गारंटी का भरोसा है तो प्रदीप ने हर जनसभा में दोहराया है कि उनका चुनाव क्षेत्र की जनता लड़ रही है। प्रदीप दो बार झाँसी सदर से विधायक और एक बार सांसद क़े अतिरिक्त केन्द्र में मंत्री भी रह चुके हैं। 2009 में अमित शाह की तर्ज पर राहुल गाँधी ने भी झाँसी ललितपुर की जनता से प्रदीप को जिताने की कीमत पर उन्हें मंत्री बनाने का वादा किया था जो उन्होंने निभाया भी था। पर 2009 क़े बाद मेयर क़े चुनाव में प्रदीप की हार उनकी जीत क़े प्रति शंका उत्पन्न कर रही है। इसमें कोई शक नहीं कि इस लोकसभा चुनाव में प्रदीप को क्षेत्रीय जनता का अदभुत प्यार मिला। गठबंधन क़े साथी दल समाजवादी पार्टी क़े नेताओं ने भी सत्तारुढ़ दल क़े डराने -धमकाने क़े प्रयासों क़े बावजूद प्रदीप का डटकर साथ दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश भी उनके समर्थन में सभा करने आए तो गठबंधन क़े बाकी दल भी प्रदीप क़े साथ मजबूती से डटे रहे। इन संकल्पों और बुलंद इरादों क़े परिणामों को आज उजागर होना है, जनता जनार्दन क़े निर्णय का दिन है। जनादेश जिसके भी पक्ष में जाए लेकिन अपेक्षित यही है कि जीतने वाला प्रत्याशी अगले 5 साल मतदाताओं क़े हितों की उपेक्षा न करे और क्षेत्र क़े विकास क़े लिए भी सक्रिय रहे।

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