बलिदान का अर्थ होता है सर्व समर्पणः आचार्य अभिषेक
धर्म,संस्कृति के अनुरूप करना चाहिए नामकरण संस्कार
बबेरू/बांदा। ग्राम कुचेंदू में द्विवेदी परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा कि राजा बलि के समान सर्वस्व समर्पण कर देना ही बलिदान है,उसका अर्थ शिरच्छेद करना कदापि नहीं है,राजा बलि को उसके नाम की सार्थकता गुरु कृपा से प्राप्त हो गई,हमारे यहां शास्त्रों में बताया कि जीव का नामकरण सार्थक,भगवन्नाम से संवलित, सद्गुणसंपृक्त, अक्षर द्वय या अक्षर चतुष्टय सम्पन्न हो,कृदन्त प्रत्ययान्त हो सम्भवतः इतना सूक्ष्मविचार अन्य सभ्यताओं में नहीं हैं।
हमें स्वधर्म तथा संस्कृति के अनुरूप सन्तति का नामकरण करना चाहिए आज भी मनु दिलीप दशरथ राम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, उमा, अपर्णा,सीता ,राधा तथा रुक्मिणी इत्यादि नाम हमारी उदात्त ऐतिहासिक धार्मिक तथा सांस्कृतिक परम्परा के सूचक हैं,नामकरण में इसकी उपेक्षा असमीचीन है,नाम के गुण नामी को सत्कर्म हेतु उत्तेजित करते हैं,राजा बलि का उपाख्यान यह सिद्ध करता है कि व्यक्ति के सद्गुण ही उसे भगवत्प्रिय बनाते हैं,श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया,इस अवसर पर आयोजक सरोज द्विवेदी रामकेश निषाद राज्यमंत्री अशोक मिश्र प्राचार्य रामनरेश मिश्र करपात्री,देवनाथ आदि उपस्थित रहे।
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