निजीकरण के विरोध में 29 मई को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कल वाराणसी में ऊर्जा मंत्री द्वारा निजीकरण के बाद आगरा और ग्रेटर नोएडा में बहुत सुधार हो जाने के दावे को तथ्यों से परे बताते हुए कहा है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण से पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष अरबों रुपए का घाटा हो रहा है और सुधार की बात पूरी तरह गलत है। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 29 मई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। गुरुवार से बिजली कर्मचारियों का प्रबंधन से पूर्ण असहयोग आंदोलन प्रारंभ हो रहा है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि आगरा में निजीकरण से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड़ रुपए का पावर कारपोरेशन को घाटा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पावर कारपोरेशन ने पिछले वर्ष 05 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04 रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट की दर पर दी। टोरेंट पावर कंपनी को 2300 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति करने में पावर कारपोरेशन को इस तरह 275 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।
आगरा लेदर इंडस्ट्री का सबसे बड़ा केंद्र है और आगरा में पर्यटन उद्योग होने के नाते सबसे अधिक पांच सितारा होटल है। इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंज्यूमर अधिक होने के कारण आगरा में प्रति यूनिट बिजली विक्रय दर 07 रुपए 98 पैसे हैं।
निजीकरण के इस प्रयोग में सस्ती बिजली खरीद कर महंगी दरों पर बेचने में टोरेंट पावर कंपनी को प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपए का मुनाफा हो रहा है। यदि निजीकरण न होता तो यह मुनाफा पावर कारपोरेशन को मिलता। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री निजीकरण के फायदे गिना रहे हैं।
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