उन्नाव में दौड़ रहे ओवरलोड वाहन दम तोड़ रही सड़के
भारी वाहनो को रोकने में असफल साबित हो रहे एआरटीओ प्रवर्तन
उन्नाव। ओवरलोड वाहनों पर स्थानीय अधिकारी रोक लगा पाने में अक्षम साबित हो रहे है या यूं कहे कि जानबूझकर इस प्रकरण को गंभीरता से नही ले रहे है। सडके बनती है और ओवर वाहन उन सडकों से होकर गुजरते है। परिणामस्वरुप रोड मियाद से पहले ही पथरीली और जर्जर हो जाती है। कई बार बडे हादसे भी हुए। इसके बावजूद संबन्धित विभाग में कोई जागरुकता देखने को नही मिली। उन्नाव परिवहन विभाग इन दिनों धरातल के बजाय सोशल साइट्स से ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन कर रहा है। बीते बुधवार को परिवहन विभाग ने लोगो को जागरुक करने के उद्देश्य से एक पोस्ट की। पोस्ट को देखने से यही लग रहा था कि विभाग की मंशा कही न कही यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चत कराने की रही होगी। लेकिन सारे दावे दूसरे ही दिन धरे के धरे रह गए। यानी सडको पर फर्राटा भरते ओवरलोड वाहन बेरोकटोक गुरुरते रहे। सडके अपनी दशा पर कराहती रही और जिम्मेदार साहब गांधारी बनकर आँखो में पट्टी बांधे दावे करते रहे सब कुछ ठीक है। इधर, गुरुवार को रायबरेली रोड, गदनखेडा बाईपास, नरी चौराहा, जी स्कूल के पास ओवरलोड वाहन गलत साइड से भी गुजरते हुए देखे गए। इनको रोकने वाला कोई जिम्मेदार सडक पर दिखाई नही दिया। ताज्जुब की बात है कि ओवरलोड वाहनों की धडपकड के लिए जिले में उपसंभागीय परिवहन विभाग के अधिकारियों से लगाकर लंबी टीम है। फिर भी ओवरलोड वाहनों का निकलना कही न कही कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाता है। जिले में एक दो एआरटीओ प्रवर्तन, एक पीटीओ इसकी निगरानी में लगाए गए है। लेकिन इनकी सख्ती का कोई असर देखने को मिल नही रहा है। गौरतलब हो कि अधिक समय से जिले में रुके एआरटीओ प्रवर्तन अरविंद सिंह जिन पर पूर्व में लक्ष्य पूरा न कर पाने पर जवाबदेही तय हुयी थी फिर भी उनका स्थानांतरण न होना बडे सवाल खडे करता है।
ब्लैक लिस्टेट वाहनों के चालन में बडे खेल की संभावना
लगातार ओवरलोड वाहनो के संचालन पर रोक लगाने के लिए खनन विभाग बिना रायल्टी व मानक विहीन ओवरलोड वाहनों को ब्लैक लिस्टेड करना शुरु कर दिया। इसके बाद सूची परिवहन विभाग को भेज दिया जाता है। ताकि वाहन स्वामी फिटनेस कराने जाए तो उन्हे कागजी कार्यवाही पूर्ण करने के साथ साथ जुर्माना भी जमा करें। ऐसा करने के पीछे मंशा महज इतनी ही रही होगी कि इन ओवरलोड वाहनों पर रोक लग सके। इसके अलावा राजस्व में बढोत्तरी हो। लेकिन ब्लैक लिस्ट प्रक्रिया शुरु होने के बाद से चर्चाएं जोर पकड रही है कि इसी के चलते बिना नंबर के चलने वाले ओवरलोड वाहनों की मानो बाढ सी आ गयी हो। इनको पकडना भी आसान नही होता है क्यों कि नंबर प्लेट वाले स्थान पर नंबर ही अंकित नही होता है। जिससे कार्यवाही से बचा जा सकता है। इस लिए जरुरी हो जाता है कि जिम्मेदार सख्ती के बाद उनका तोड निकालने वाले वाहनों को भी चिन्हित करें। ताकि पूर्ण कार्यवाही की जा सके।
बीते दिनों के हादसों पर नजर डाले तो वर्तमान स्थिति दयनीय
बीते दिनों घटित हादसों पर अगर नजर डाले तो पहली घटना बडी ही हैरान कर देने वाली थी। जिसमें एक तेज रफ्तार ट्रक बस की एक साइड को चीरते हुए निकल गया था। इस हादसे में सात लोगो ने जान गवाई थी जब कि 20 यात्री घायल हो गए थे। यह घटना बीते एक वर्ष पूर्व की है। वही दूसरी घटना औरास थानार्न्तगत हुयी। जिसमें स्लीपर बस की आगे चल रहे ट्रक से टक्कर हो गयी थी। जिसमें करीब 31 सवारियों के घायल होने की जानकारी मिली थी। 14 सवारियां गंभीर रुप से घायल हो गयी थी। यह घटना इसकी माह की है। 24 माई को ट्रक की टक्कर से तीन की हुई थी दर्दनाक मौत यह तो केवल एक उदाहरण है। इस तरह के न जाने कितने ही हादसे अक्सर हो जातेे है लेकिन विभाग अगर पहले ही सतर्क हो जाए तो निश्चित ही इन हादसों में कमी लायी जा सकती है।
क्या बोले आरटीओ प्रवर्तन लखनऊ ?
ओवरलोड वाहनों के परिचालन की समस्या के बारे में जब आरटीओ प्रवर्तन लखनऊ संदीप कुमार पंकज से हमारे संवाददाता ने बात किया तो उन्होंने कहा कि आपके द्वारा मुझे जानकारी प्राप्त हुआ है ,ओवरलोड वाहनों पर कार्यवाही होती रहती है जिसके बारे में उन्नाव कार्यालय से जानकारी प्राप्त की जा सकती है और क्षेत्रीय अधिकारियो से मै बात करूंगा, अगर आवश्यक होगा तो एक विशेष जांच दल भेज कर दिखवाता हूं।
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