विद्या मंदिर रामबाग बस्ती में पूर्व छात्र संगम का आयोजन

विद्या मंदिर रामबाग बस्ती में पूर्व छात्र संगम का आयोजन

बस्ती - पुण्यश्लोका अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती तथा स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती के अवसर पर सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय रामबाग बस्ती में आज पूर्व छात्र संगम का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यालय में विभिन्न वर्षो में अध्ययनरत पूर्व छात्रों का समागम हुआ। मंच पर विद्या भारती पूर्वी उ. प्र. के मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक बस्ती विभाग के विभाग प्रचारक डॉ. अवधेश , पूर्व छात्र परिषद के प्रांत अध्यक्ष प्रशांत पांडेय, विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर सुरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व छात्र परिषद के अध्यक्ष डा. मानवेंद्र पाल और विद्यालय के प्रधानाचार्य गोविंद सिंह की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य गोविंद सिंह ने बताया कि सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना सन 1952 में हुई। इसी क्रम में विद्या भारती की स्थापना 1977 में हुई। पूरे भारत में विद्या भारती की 11 समितियां, 68 प्रांतीय समितियां, 24770 औपचारिक विद्यालय, संस्कार केंद्र और एकल विद्यालय चल रहे हैं। 144909 आचार्य 3538033 छात्र-छात्राओं को नियमित शिक्षा दे रहे हैं।
विद्यालय की स्थापना की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि सन 1982 में शिशु मंदिर के साथ कक्षा षष्ठ की व्यवस्था शुरू की गई, और 1985 में अपनी भूमि और भवन पर अलग से सरस्वती विद्या मंदिर की स्थापना की गई। पहले प्रधानाचार्य श्रवण सिंह थे। 1998 में विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से हाई स्कूल की मान्यता और 2000 में इंटर की मान्यता मिली, प्रधानाचार्य लालता प्रसाद पाण्डेय थे। उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों की चर्चा भी की और इस कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य श्री श्रवण सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य श्री लालता प्रसाद पांडेय, विद्यालय के पूर्व आचार्य श्री जगदीश प्रसाद मिश्र, विद्यालय के पूर्व आचार्य एवं वर्तमान में नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर बलिया के प्रधानाचार्य श्री शैलेंद्र त्रिपाठी, पूर्व आचार्य राम नरोत्तम  चौधरी, धर्मेंद्र त्रिपाठी, अमरनाथ त्रिपाठी एवं सहदेव पांडेय को सम्मानित किया गया।
अपने संबोधन में डॉ. सौरभ मालवीय ने कहा कि जीवन में दो अवसर हैं, जहां रहकर हम लोगों से जुड़े रहते हैं। वह नौकरी का स्थान और विद्यालय है , जहां से आप जुड़े हुए हैं। यह जानकर मुझे बहुत खुशी है। राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में शिक्षा का बहुत महत्व है, संस्कृति व सभ्यता का सनातन ही पुरातन और परंपरागत है। उन्होंने संस्कार के साथ जीवन मूल्य के महत्व और समर्पण के सुख की चर्चा की। उन्होंने कहा कि देश और राष्ट्र के प्रति हमारी कृतज्ञता दिखनी चाहिए। उन्होंने पूर्व छात्रों का आह्वान किया कि वे एक ऐसी समिति बनाएं जो समाज के विभिन्न वर्गों की सहायता कर सके, जैसे अर्थाभाव में किसी की पढ़ाई बाधित न हो, गरीब किंतु मेधावी छात्रों को आर्थिक सहयोग, गरीब छात्राओं  की विवाह की चिंता, अपंग लोगों की चिकित्सा के लिए सहयोग  आदि।

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सर्वेष श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के ब्यूरो प्रमुख

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