फूड डिलिवरी एजेंट ने युवा रग्बी टीम को पोडियम तक पहुंचाया
गुवाहाटी। उप्र में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के बाद भारती विद्यापीठ की रग्बी टीम लगभग पूरी तरह बिखर गई थी। गुवाहाटी में उसका पोडियम फिनिश लगभग नामुमकिन था लेकिन मुंबई में जिम इंस्ट्रक्टर का काम करने वाले प्रशांत अरविंद सिंह ने बहुत कम समय में इस टीम को फिर से खड़ा किया और पोडियम तक ले गए।
भारती विद्यापीठ टीम ने इंदिरा गांधी एथलेटिक स्टेडियम में लगभग सभी नए खिलाड़ियों के साथ कांस्य पदक जीता। यह टीम केआईयूजी के पहले और तीसरे संस्करण की चैंपियन रही है लेकिन इस बार कांस्य जीतने के बावजूद प्रशांत और उनके साथियों के चेहरों की खुशी देखने लायक थी। इसका कारण यह था कि यह टीम बहुत कम समय में खड़ी हुई। खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत स्तर पर अपने-अपने शहरों में फिटनेस ट्रेनिंग ली और फिर मुंबई जिमखाना में सिर्फ 15 दिनों के अभ्यास के बाद गुवाहाटी आई।
पेशेवर पृष्ठभूमि से आने वाली इस टीम को नए सिरे से खड़ा करने वाले प्रशांत का परिवार मुंबई में रहता है। महाराष्ट्र के लिये नेशनल गेम्स खेल चुके प्रशांत के पिता न्यूजपेपर वेंडर हैं और खानदान में हर कोई कभी ना कभी जिला या राज्य स्तर का खिलाड़ी रहा है। यहां तक की उनकी मां भी जिला स्तर की कबड्डी खिलाड़ी रही हैं। यही कारण था कि एक समय वित्तीय स्थिति खराब होने के बाद प्रशांत ने फूड डिलिवरी एजेंट का काम किया लेकिन खेल का दामन नहीं छोड़ा।
भारती विद्यापीठ टीम में यूटिलिटी प्लेयर के तौर पर खेलने वाले प्रशांत ने कहा, “बचपन में ही मुझे इस खेल से प्यार हो गया था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इस कारण खेल से दूर हुआ और नौकरी की लेकिन फिर लौट आया। 2017 से 2020 तक परिवार की मदद के लिए मैंने फूड डिलिवरी एजेंट का काम किया और आज भी कल्ट जिम में इंस्ट्रक्टर का काम करता हूं लेकिन खेल मेरा पहला प्यार है। हमारा परिवार खिलाड़ियों का रहा है। परिवार से हमेशा सपोर्ट मिला है लेकिन घर की जिम्मेदारियों के कारण पहले मेरे बड़े भाई ने खेल छोड़ा और फिर मैंने। हालांकि मुंबई में मेरी टीम के साथी गोविंद के बार बार कहने पर मैं 2021 में फिर इस खेल में लौट आया।”
गुवाहाटी में अपनी टीम की सफलता पर प्रशांत ने कहा कि एक बिखरी हुई टीम को फिर से समेटना आसान नहीं था। खासतौर पर ऐसे में जब हर खिलाड़ी महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में रहता हो। प्रशांत ने कहा, “हमारी टीम बिल्कुल नई है। खिलाड़ी अलग-अलग शहरों जैसे कोल्हापुर, सतारा, पुणे और मुंबई से हैं। तीसरे केआईयूजी के बाद हमारी टीम बिखर गई थी लेकिन फिर हम सबने मिलकर इसे खड़ा किया। हमारा पोडियम तक पहुंचना ही बहुत बड़ी बात है क्योंकि सिर्फ 15 दिन की तैयारी के बाद हम यहां पहुंचे। खिलाड़ी अपने शहरों में प्रैक्टिस करते रहे और इसी कारण टीम में बांडिंग की कमी रही। हम अगले साल बेहतर बांडिंग और तैयारी के साथ लौटेंगे और तीसरा स्वर्ण जीतेंगे।”
भारत के लिए अंडर-19 स्तर पर खेल चुके प्रशांत ने कहा कि अब वह प्रीमियर रग्बी लीग की तैयारी में जुटेंगे, जिसकी घोषणा हो चुकी है। वह बोले, -हमारे लिए रग्बी लीग की घोषणा बहुत बड़ी खबर है। मैं काफी समय से खेल रहा हूं, इस कारण लीग में मौकी मिलने की उम्मीद कर रहा हूं। रग्बी को इस तरह की लीग की ज़रूरत है। इस से पैसा मिलेगा और तब खिलाड़ी सिर्फ़ अपने खेल पर फोकस कर सकेंगे।”
About The Author
‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
टिप्पणियां