हरदोई में हाथी की चाल से प्रभावित हो सकते हैं लोकसभा चुनाव

हरदोई में हाथी की चाल से प्रभावित हो सकते हैं लोकसभा चुनाव

हरदोई। हरदोई सुरक्षित लोकसभा सीट से भाजपा ने मौजूदा सांसद जय प्रकाश रावत पर दांव लगाया है तो वहीं समाजवादी पार्टी की 2019 में पराजित हुईं पूर्व सांसद ऊषा वर्मा को एक बार पुनः मैदान में उतारा है। सपा भाजपा के आमने सामने मुकाबले का गणित बदलने के लिए बसपा उम्मीदवार की घोषणा का मतदाता इंतजार कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बसपा उम्मीदवार घोषित होने पर चुनावी समीकरण प्रभावित होंगे।ज्ञातव्य हो कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भले ही बहुजन समाज पार्टी को प्रदेश में सिर्फ एक सीट पर जीत मिली हो, लेकिन परिणाम पर फर्क डालने की स्थिति में बसपा आज भी है। यही वजह है कि हरदोई संसदीय क्षेत्र से बसपा के प्रत्याशी के नाम का ऐलान होने का इंतजार सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं।

किसी के लिए सकारात्मक तो किसी के लिए नकारात्मक प्रभाव बसपा प्रत्याशी का होगा, लेकिन बसपा की चुनाव में मौजूदगी अहम तो रहेगी ही।यूं ताे अब तक हुए लोकसभा चुनाव में हरदोई लोकसभा क्षेत्र से बसपा को कभी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन कई बार बसपा प्रत्याशी दूसरा स्थान हाासिल करने में कामयाब रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन था। इस गठबंधन के चलते हरदोई सीट सपा के कोटे में चली गई थी और बसपा का प्रत्याशी यहां मैदान में नहीं उतरा था। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में जीत भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे अंशुल वर्मा को मिली थी, लेकिन तब दूसरा स्थान बसपा के शिव प्रसाद वर्मा को मिला था।अंशुल वर्मा काे 3,60,501 वोट मिले थे, जबकि शिव प्रसाद वर्मा को 2,79,158 वोट हासिल हुए थे।

तत्कालीन सांसद ऊषा वर्मा उस चुनाव में 2,76,543 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रही थीं। अब होने वाले लोकसभा चुनावों में अकेले ही मैदान में उतरने का संकेत बसपा प्रमुख मायावती दे चुकी हैं। ऐसे में सबकी निगाहें बसपा प्रत्याशी पर लगी हैं।विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मेवाराम वर्मा समेत कई पूर्व पदाधिकारी टिकट के दावेदार हैं। दूसरे दलों के लोगों से भी बसपा नेताओं की बात चल रही है। पूरे मामले पर बसपा जिलाध्यक्ष रणधीर बहादुर कहते हैं कि बसपा के कार्यकर्ता अनुशासित हैं। पार्टी की मुखिया मायावती जिसे भी प्रत्याशी घोषित करेंगी उसे सभी कार्यकर्ता एक जुट होकर चुनाव लड़ाएंगे। उनका दावा है कि टिकट के दावेदारों की लंबी लाइन है। पार्टी नेतृत्व के निर्देशों का पालन किया जाएगा।राजनैतिक जानकारों का मानना है कि यदि बसपा का मजबूत दावेदार सामने आता है तो हरदोई सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की स्थितियां बदली बदली होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। हरदोई सीट पर चतुर्थ चरण में 13 मई को मतदान होगा।अभी मैदान में सिर्फ दो ही उम्मीदवार हैं।


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