यूपी में जैव विविधता की कहानी में नया अध्याय : सरकार के प्रयासों से बढ़ी
By Tarunmitra
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार के प्रयासों का परिणाम सामने आया है। हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, देश में सबसे अधिक डॉल्फिन की संख्या उत्तर प्रदेश में है। इसके अलावा, बाघों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। वन विभाग के अनुसार, प्रदेश में 2018 में बाघों की संख्या 173 थी, जो 2022 में बढ़कर 205 हो गई है।
सरकार के प्रयास
कछुआ संरक्षण योजना: सरकार ने कछुओं के अवैध शिकार पर अंकुश लगाने और उनके संरक्षण के लिए काम कर रही है। इसके लिए सरकार कछुआ संरक्षण योजना चला रही है, जिसमें उनके प्राकृतिक आवासों को संरक्षित किया जा रहा है।
वेटलैंड्स का संरक्षण: सरकार ने वेटलैंड्स को संरक्षित करने के लिए कदम उठाए हैं। वेटलैंड्स जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, और सरकार ने इनके संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं।
पौधरोपण: सरकार ने 2017-2018 से 2024-2025 के दौरान 204.65 करोड़ पौधरोपण कराया है, और इस साल भी 35 करोड़ पौधे लगवाने का लक्ष्य है। पौधरोपण से न केवल वायु प्रदूषण कम होता है, बल्कि यह जैव विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
जैव विविधता का महत्व
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सहअस्तित्व ही हमारी बुनियाद है। इंसान सहित हर जीव-जंतु की अहमियत है, और सबके संरक्षण का प्रयास होना चाहिए। जैव विविधता के संरक्षण से न केवल पर्यावरण का संतुलन बना रहता है, बल्कि यह हमारे जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
आगे की कार्रवाई
जैव विविधता के संरक्षण के लिए सरकार और स्थानीय समुदायों को मिलकर काम करना होगा। सरकार को जैव विविधता के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए काम करना चाहिए, और स्थानीय समुदायों को भी इसमें शामिल करना चाहिए।
जैव विविधता के लिए खतरा
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की पादप एवं जंतु प्रजातियों की लाल सूची के अनुसार, भारत में लगभग 97 स्तनधारी, 94 पक्षी और 482 पादप प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। वैश्विक स्तर पर देखें तो यह खतरा 10 लाख प्रजातियों पर है।
विषमुक्त प्राकृतिक खेती
विषमुक्त प्राकृतिक खेती भी जैव विविधता में मददगार बन रही है। प्राकृतिक सफाईकर्मी माने जाने वाले लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए योगी सरकार द्वारा गोरखपुर में जटायु संरक्षण केंद्र की स्थापना भी इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उत्तर प्रदेश की जैव विविधता
नौ तरह की कृषि जलवायु होने के नाते प्रदेश में वनस्पति और जीव-जंतु दोनों में भरपूर विविधता है। इनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए यहां एक राष्ट्रीय उद्यान और दो दर्जन से ज्यादा वन्यजीव अभयारण्य हैं।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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