ग्रामीणों का एक-एक दिन भारी, 30 दिन बाद पहुंचे विभागाध्यक्ष!
बीते तीन दिसंबर से रहमानखेड़ा के जंगलों में चकमा दे घूम रहा बाघ
- सुलोचना व डायना की पीठ पर चढ़कर ट्रेस कर रहे पगमार्क, हाथ खाली
- प्रधान मुख्य वन संरक्षक बोले छोटी टीमें बनायें, हथिनियों के जगह को बेहतर रखें
लखनऊ। राजधानी मुख्यालय से चंद किमी दूर या यूं कहे कि लखनऊ जनपद की एक अहम तहसील क्षेत्र रहमान खेड़ा के जंगलों में बीते साल तीन दिसंबर से बाघ जहां-तहां चकमा देते हुए घूम रहा और अभी तक वन विभाग की टीम रणनीति पर रणनीति बना रही या फिर पैंतरे बदलकर काम कर रही, बावजूद इसके अभी तक उनके हाथ बाघ नहीं लग सका।
दूसरी तरफ जिन जंगली एरिया के आसपास जो दर्जन गांव बसें हैं और वहां पर हजारों की संख्या में ग्रामीण वासी रह रहे हैं और इस कंपकपाते ठंडक में उनका एक-एक दिन बाघ के खौफ से बहुत ही भयावह बीत रहा है जबकि वहीं वन विभाग के विभागाध्यक्ष व प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी 30 दिन बाद घटनास्थल एरिया का जायजा लेने पहुंचे। बता दें कि बाघ को ट्रेस करने के लिये दुधवा पार्क से उक्त नाम की दो हथिनियां मंगाई हैं जिनकी मदद से बाघ का लोकेशन ट्रेस किया जा रहा है।
डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया कि शनिवार प्रात: साढ़े छह बजे के करीब टीम द्वारा हथिनियों के जरिये मंडौली के घने जंगलों में काम्बिंग करते हुए बाघ व वन्य जीव के पगमार्क ट्रेस किये गये। इसके तकरीबन दो घंटे बाद विभागाध्यक्ष अपनी टीमों के साथ मौके पर पहुंचे और 35 सदस्यों की टीम में छोटे-छोटे समूह ग्रुप बनाने के निर्देश दिये। कहा कि एक टीम कॉम्बिंग करे, दूसरी कैमरा ट्रैंप करे और तीसरी हथिनियों की देखभाल व चौथी टीम डॉक्टरों के साथ राय बनाकर रेस्क्यू कार्य संपन्न कराये। उन्होंने मचान को भी देखा और दोनों हथिनियों की जगह को और बेहतर बनाने के निर्देश दिये।
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