टैक्स का तांडव बनाम जनता का प्रतिरोध

टैक्स का तांडव बनाम जनता का प्रतिरोध

"हाउस टैक्स नहीं घटा, तो फूटेगा जनविस्फोट" – संतोष यादव की दो टूक चेतावनी

- हाउस टैक्स में भारी बढ़ोतरी से गाजियाबाद की जनता में उबाल

 

- सपा नेता संतोष यादव ने सरकार और नगर निगम को लिया आड़े हाथ

 

- भाजपा के सांसद- विधायक-महापौर मौन, जनता खुद को ठगा महसूस कर रही

 

- "यह सिर्फ टैक्स नहीं, आत्मसम्मान की लड़ाई है" – संतोष यादव

 

- सरकार अभी भी नहीं चेती तो जनता दे रही आंदोलन की चेतावनी

गाजियाबाद। गाजियाबाद नगर निगम द्वारा हाल ही में की गई हाउस टैक्स में बेतहाशा वृद्धि ने आम नागरिकों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। जनमानस में व्याप्त रोष अब केवल नाराज़गी नहीं, बल्कि विरोध की चिंगारी बन चुका है। सपा के वरिष्ठ नेता संतोष यादव ने इस मसले पर कड़ा रुख अपनाते हुए नगर निगम और सत्तारूढ़ दल को कटघरे में खड़ा किया है।

 

"यह सिर्फ टैक्स वृद्धि नहीं, सत्ता के अहंकार की पराकाष्ठा है,"

 

संतोष यादव ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी कि "अगर जल्द ही यह जनविरोधी निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो जनता का सब्र टूटेगा और सड़क पर संघर्ष तय होगा।"

 

जनता को नहीं मिल रही सुनवाई, नेता बने मौनद्रष्टा

 

यादव ने कहा कि सांसद से लेकर महापौर तक भाजपा के हैं, फिर भी जनता की आवाज को अनसुना किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया –

 

"क्या सत्ता में बैठे लोग जनता से कट चुके हैं? क्या उनका दायित्व सिर्फ चुनाव जीतना भर है?"

 

‘सबका साथ’ या ‘सब पर भार’?

 

संतोष यादव ने इस निर्णय को जनता की सहनशीलता के साथ किया गया क्रूर मज़ाक बताया। उन्होंने कहा:

 

"जनता पहले ही महंगाई, बेरोज़गारी और ईंधन की कीमतों से जूझ रही है। ऐसे में टैक्स के नाम पर अतिरिक्त बोझ डालना सरासर अन्याय है।"

 

न्याय नहीं मिला तो जनआंदोलन तय

 

स्थानीय नागरिकों की भी यही मांग है कि टैक्स वृद्धि को अविलंब रद्द किया जाए।

शहर भर में अब यह सवाल उठ रहा है:

 

"क्या 'सबका विकास' का नारा सिर्फ एक जुमला था?"

 

संतोष यादव ने नगर निगम को आगाह करते हुए कहा –

"अगर समय रहते फैसला नहीं बदला गया, तो यह जनाक्रोश आंदोलन में तब्दील होगा, जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ शासन-प्रशासन की होगी।"

 

जनता की पीड़ा को सत्ता तक पहुंचाने का बीड़ा अब आम लोगों और ज़िम्मेदार जनप्रतिनिधियों को उठाना होगा।

गाजियाबाद अब केवल टैक्स के खिलाफ नहीं, सत्ता की असंवेदनशीलता के खिलाफ भी आवाज़ बुलंद कर रहा है।

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