हाउस टैक्स वृद्धि के खिलाफ भड़का जनाक्रोश
नीरज चौधरी बोले-"सत्ता की हनक में गूंगी-बहरी होती जा रही व्यवस्था"
वरिष्ठ समाजसेवी नीरज चौधरी ने निगम के फैसले को बताया जनविरोधी, कहा – टैक्स का बोझ तुरंत वापस ले सरकार, वर्ना जनता का सब्र बन सकता है संकट
गाजियाबाद। नगर निगम द्वारा हाल ही में हाउस टैक्स में की गई बेतहाशा वृद्धि को लेकर गाजियाबाद की जनता में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। हर वर्ग, खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों पर इस फैसले का सीधा असर पड़ा है। इस मुद्दे पर जनता की आवाज को मुखर करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी नीरज चौधरी ने नगर निगम और सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों को आड़े हाथों लिया है।
चौधरी ने स्पष्ट कहा कि "जब सांसद, विधायक और महापौर सभी भाजपा के हैं, तो जनता की समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हो पा रहा? क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित रह गए हैं?"
उन्होंने कहा कि टैक्स के नाम पर जनता को लूटने का जो काम निगम कर रहा है, वह पूरी तरह से अमानवीय और जनविरोधी है। आम आदमी पहले ही महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है, ऐसे में टैक्स बढ़ाकर जनता की पीड़ा को और गहरा किया जा रहा है।
नीरज चौधरी ने चेताया:
"अगर सरकार ने यह फैसला तुरंत वापस नहीं लिया, तो जनता का सब्र जवाब दे जाएगा। यह सिर्फ टैक्स का विरोध नहीं है, यह व्यवस्था के खिलाफ एक असंतोष की आग है जो यदि फैली, तो उसे संभाल पाना मुश्किल होगा।"
उन्होंने आगे कहा कि “सत्ता की हनक में डूबी व्यवस्था को अब भी वक्त रहते चेत जाना चाहिए। नहीं तो यही आमजन कभी-कभी ऐसी दिशा में मुड़ता है, जहां से फिर लौटना मुश्किल हो जाता है।”
नीरज चौधरी ने मांग की है कि नगर निगम इस निर्णय को अविलंब वापस ले और जनभावनाओं का सम्मान करे। उन्होंने यह भी कहा कि टैक्स की दरों की समीक्षा करते समय जनता से संवाद करना अनिवार्य है।
यह स्पष्ट है कि टैक्स वृद्धि का यह फैसला न केवल आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है, बल्कि सरकार और नगर निगम की जनविरोधी नीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। समाजसेवी नीरज चौधरी की बातों में गाजियाबाद की आवाज़ गूंज रही है — अब सरकार को यह तय करना है कि वह इस आवाज़ को सुनेगी या नजर अंदाज करेगी।
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