होली रंगोत्सव उमंग का त्योहार- मुक्तिनाथानन्द
रामकृष्ण मठ में चैतन्य महाप्रभु की जयंती के साथ होलिकोत्सव
By Harshit
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लखनऊ। निरालानगर के रामकृष्ण मठ में चैतन्य महाप्रभु जयंती के साथ होलिकोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें होली रंगोत्सव पर आयोजित सत्प्रसंग में स्वामी मुक्तिनाथा ने कहा कि होली उत्सव को फाल्गुनउत्सव कहा जाता है। बोधी प्राप्त होने के बाद तथागत बुद्ध पहली बार अपने घर कपिलवस्तु गए थे। उनका स्वागत करने के लिए लोगों ने घरों और रास्तों को साफसुथरा किया और बुद्धत्व प्राप्ति की खुशी में उत्सव मनाया था, जो आगे चलकर फाल्गुन उत्सव बन गया।
उन्होंने कहा कि खुशी में कपिलवस्तु के शाक्यों ने एक साथ मिलकर चावल पकाया। इसलिए बुद्ध के इस स्वागतोत्सव को बाद में होलकोत्सव कहा जाने लगा। इसी क्रम में मठ के मुख्य मंदिर में भजन गाये गये उस दौरान ढोलक मजीरा का वादन भी हुआ।
वहीं मठ के अन्य साधुवृन्द व लोगों ने भजन गायन किया। जिसमें स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने सर्वप्रथम त्रिमूति चैतन्य महाप्रभु को अबीर गुलाल लगाया उसके बाद उन्होंन सभी भक्तों के साथ अबीर गुलाल लगाकर होलीकोत्सव मानाया। इसके बाद सभी लोग उन्मुक्त होकर नृत्य करते हुये प्रभु को स्मरण कर रहे थे।
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