5-5 हजार रुपए अर्थदंड के साथ सीओ पर आरोप
वरीय पदाधिकारी के आदेश का कर रहे थे अवेहलना जिस पर हुई कार्रवाई की अनुशंसा
डीपीजीआरओ ने सीओ और आरओ मानपुर पर 5-5 हजार रुपए अर्थदंड के साथ सीओ पर आरोप पत्र गठन की अनुशंसा की
गया। अस्पष्ट/गलत/भ्रामक प्रतिवेदन समर्पित करने एवं पदाधिकारी को दिग्भ्रमित करने के आरोप में अपर समाहर्ता सह जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सुबोध कुमार ने मानपुर सीओ और आरओ दोनों पर 5-5 हजार रुपए अर्थदंड के साथ सीओ पर आरोप पत्र गठन की अनुशंसा की है।दरअसल एक परिवादी मो॰ औरंगजेब द्वारा आवेदन दे कर आरोप लगाया गया है कि मौजा-सलेमपुर अंतर्गत खाता संख्या- 56, प्लाॅट संख्या- 111 का जमाबंदी गलत तरीके से कायम है।
जाँचोपरान्त उचित कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया गया।सुनवाई के उपरांत लोक प्राधिकार सह सीओ, मानपुर के स्तर से प्रतिवेदित किया गया कि मौजा-सलेमपुर, थाना संख्या- 319 अंतर्गत स्थित खाता संख्या- 56, खेसरा संख्या- 111, रकवा- 0.3,1/8 डी॰ डिमाण्ड संख्या- 165/7 पर सुरेश प्रसाद यादव, पिता रामेश्वर प्रसाद के नाम से दर्ज है। उक्त भूमि की जमाबंदी दाखिल खारिज वाद संख्या 1126/2013-14 के अनुसार कायम है।
परिवादी द्वारा किया गया प्रतिवाद-
सुनवाई के क्रम में उक्त मामले में परिवादी द्वारा उक्त प्रतिवेदन का प्रतिवाद किया गया।उक्त के आलोक में लोक प्राधिकार को निदेशित किया गया कि अपर समाहर्त्ता, गया के आदेश के बावजूद मौजा-सलेमपुर अंतर्गत खाता संख्या- 56 में जमाबंदी क्यों चल रही है? स्पष्ट करें।तदालोक में सीओ के स्तर से दोबारा अपने कार्यालय से भेजे प्रतिवेदन में प्रतिवेदित किया गया कि एडीएम के पत्रांक 259/न्या॰ दिनांक 01.01.2022 में जमाबन्दी रद्द वाद संख्या 121/2020-21 सुरेश यादव बनाम दिनेश कुमार वगैरह में दिनांक 25.10.2021 को पारित आदेश के आलोक में दिनेश कुमार द्वारा दिए गए।
आवेदन पत्र के संबंध में एडीएम द्वारा सुधार करने का निदेश दिया गया है।सीओ के स्तर से उक्त पत्रांक की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया, जिसमें एडीएम के स्तर से सीओ को कहा गया है कि आवेदक दिनेश कुमार ने आवेदन देकर सूचित किया है कि विषयांकित वाद में मौजा- सलेमपुर, थाना नं०-319 के खाता पुराना - 56/1643, पुराना प्लॉट-110/111 के अन्तर्गत जो खतियान के अनुसार बिहार सरकार के खाते की है, जिसे रद्द किया गया है।परन्तु सीओ द्वारा दिनेश कुमार के नाम जमाबन्दी कायम नहीं रहने के कारण इसके स्थान पर खाता संख्या-67 जो विगत 12 वर्षों से कायम जमाबन्दी संख्या 29/6 जो दिनेश कुमार के नाम से दर्ज था, उसे रद्द कर दिया गया है, जो विधि-संगत नहीं है।
उसमें खाता सं० 67/434, प्लॉट नं०-110/3931 एवं प्लॉट सं०-111/3930, जो विवादित भूमि था, वह दिनेश कुमार के नाम रिविजनल सर्वे खतियान के खाता 434 में दर्ज है एवं लम्बी अवधि से दखल कब्जा है एवं लगान रसीद वर्ष 2021-22 तक निर्गत है। आवेदक के द्वारा लोक अदालत में दाखिल पीएल वाद सं० 177/2010 दिनेश कुमार बनाम रामस्वरूप यादव में समझौता के आधार पर वाद का निष्पादन किया गया है।जिसके आलोक में लगान निर्धारण वाद सं० 5/2010-11 द्वारा सभी आवेदकों का जमाबन्दी संधारित किया गया है।
अतः निदेश है कि आवेदन में वर्णित बिन्दुओं के आलोक में राजस्व कागजात जाँचकर विषयांकित वाद में दिनांक 25.10.2021 को पारित आदेश में खाता सं०-56 पु०, प्लॉट नं०-110, 111 के अन्तर्गत रकवा 0.48 1/2 डी० का जमाबन्दी रद्द करते हुए आवेदक दिनेश कुमार, मोहल्ला- अशोक नगर भट्ट बिगहा, थाना- रामपुर, जिला-गया का आवेदन के आलोक में जमाबन्दी सं० 29/6 जो आपके द्वारा रद्द कर दिया गया है, उसमें सुधार करना सुनिश्चित करें।उक्त पत्र के अवलोकनोपरांत स्पष्ट है कि उक्त पत्र में जमाबंदी संख्या 29/6 , जो सीओ, मानपुर द्वारा रद्द कर दिया गया है उसमें सुधार करने की बात कही गई है, न कि परिवाद में उल्लेखित तथ्य के संबंध में।
कागजी रूप से परिवाद का निष्पादन कराने का प्रयास किया जाना उचित नहीं --डीपीजीआरओ.
इस मामले में डीपीजीआरओ ने कहा कि स्पष्ट है कि लोक प्राधिकार सह सीओ एवं उनके स्थान पर उपस्थित प्रतिनिधि आरओ वरीय पदाधिकारी के आदेश का अनुपालन नहीं करते हैं।साथ ही अभिलेख का अध्ययन भी नहीं करते हैं।केवल कागजी रूप से परिवाद का निष्पादन कराने का प्रयास किया जाना उचित नहीं है। साथ ही सीओ एवं आरओ द्वारा डीपीजीआरओ को भ्रमित करने का प्रयास भी किया गया है, जो अधिनियम की मूल भावना के प्रतिकूल है।
सीओ और आरओ पर 5-5 हजार रुपए अर्थदंड के साथ सीओ पर आरोप पत्र गठन की भी अनुशंसा की गई।डीपीजीआरओ सुबोध कुमार ने सीओ एवं आरओ के स्तर से अस्पष्ट/गलत/ भ्रामक प्रतिवेदन समर्पित करने एवं आरओ के स्तर से सुनवाई के क्रम में पदाधिकारी को दिग्भ्रमित करने के प्रयास के आरोप में अधिनियम की धारा 8 के तहत रू 5000-5000 शास्ति दोनों पर अधिरोपित करने की अनुशंसा की।साथ ही उन्होंने कहा कि एडीएम (राजस्व) के आदेश का अनुपालन करने में गंभीर लापरवाही बरतने से यह साफ स्पष्ट होता है कि सीओ का इसमें कोई निहित स्वार्थ है।
जिस कारण वे वरीय पदाधिकारी के आदेश का पालन भी नहीं करते हैं।जिनकी जमाबंदी रद्द का आदेश हुआ है, उनकी जमाबंदी लंबे समय तक नहीं रद्द करना सीओ की उनके साथ मिलीभगत को प्रमाणित करता है।ऐसा मामला कृत्यकरण के तहत आता है।लिहाजा सीओ, मानपुर के विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई (आरोप पत्र) गठन की भी अनुशंसा की गई है।साथ ही इस आदेश की प्रति एडीएम (राजस्व), डीएम तथा प्रमंडलीय आयुक्त को भेजने का भी निर्देश दिया गया है।
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