फतेहाबाद में कवियों ने दिया पर्यावरण बचाने का संदेश,काव्य गोष्ठी का आयोजन
फतेहाबाद। पिघलते ग्लेशियर, घटती हरियाली, बिगड़ता पर्यावरणीय संतुलन के कारण प्रकृति संरक्षण जटिल होता जा रहा है। समस्त प्राणी जगत के अस्तित्व के लिए पर्यावरण बचाना अत्यंत आवश्यक है। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार, यायावर छायाकार डॉ. ओमप्रकाश कादयान ने रविवार को नीर धरोहर सोसायटी द्वारा गांव मताना, फतेहाबाद में संचालित प्ले स्कूल में आयोजित कवि गोष्ठी में बतौर मुख्यअतिथि संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जींद के जिला सलाहाकार एवं साहित्यकार रणधीर मताना ने की। शिक्षक एवं कवि डॉ. सुदामा शास्त्री ने मंच संचालन किया। डॉ. कादयान ने कहा कि जब हमारा हर सांस पेड़-पौधों के कारण कायम है तो हम क्यों धरा ही हरियाली को मिटाने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य ही है जो पर्यावरण को दूषित कर रहा है तथा जंगलों का सफाया भी। शेष सभी प्राणी तो प्रकृति के सहचर है। कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि डॉ. सुरेश पंचारिया, प्राध्यापक व कवि दिवाकर जयन्त, रणधीर मताना, डॉ. सुदामा शास्त्री, ओमप्रकाश कादयान, देवेन्द्र कुमार ‘अंशक’, दीपांशु वर्मा, हिमांशु आदि कवियों ने अपनी रचनाओं से प्रकृति बचाने, अधिक से अधिक पेड़ लगाने का संदेश दिया। रणधी मताना ने कवियों का स्वागत व धन्यवाद किया। इस अवसर पर नीर धरोहर सोसायटी की ओर से सभी कवियों को सम्मानित किया गया। युवा कवि दिवाकर ने नए अंदाज में प्रकृति संरक्षण व हरियाली बचाने का संदेश ‘मिले नवजीवन प्रकृति को उन्नति के फूल खिलाने को, पेड़-पौधे बने प्रगति के ध्वजवाहक, सृष्टि में नूतन रंग रचाने को’ पंक्तियों से दिया। डॉ. सुरेश पंचारिया ने जहां अपनी कई कविताओं में पर्यावरण बचाने की बात कही वहीं तनावमुक्त जीवन जीने की सलाह दी। उन्होंने कहा ‘धार वक्त की प्रबल है, इसमें लय से बहा करो, जीवन कितना क्षणभंगुर है, मिलते-जुलते रहा करो।’ हिन्दी के प्रवक्ता व युवा कवि देवेन्द्र कुमार ‘अंशक’ ने खिले गुलशन व सावन की बात कही कि ‘गुल-गुलशन खिलाओ, खिले हर प्यारा चेहरा, सावन है आने वाला, दिखे रंग गहरा हरा-हरा।’ डॉ. सुदामा शास्त्री ने अपनी ओजपूर्ण वाणी में अपने भाव इस तरह व्यक्त किए ‘प्रकृति से सृष्टि चलेगी, सृष्टि से जीवन, अमन चैन शांति मिलेगी, कर लो संरक्षण।’
टिप्पणियां