योग की भूमिका विषय पर परिचर्चा

योग की भूमिका विषय पर परिचर्चा

— योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं,बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों के विकास का आधार:मो शारिक

लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में "विरासत से विकास: योग की भूमिका" विषय पर एक विचारोत्तेजक चर्चा का आयोजन ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना समन्वयक डॉ.नलिनी मिश्रा एवं शारीरिक शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयासों से किया गया। यह कार्यक्रम कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा के निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

परिचर्चा में विषय विशेषज्ञ मोहम्मद शारिक ने योग की प्राचीन अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्राचीन काल में योग का अभिप्राय स्वाध्याय,जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति तथा परमात्मा से जुड़ाव से था। उन्होंने कहा योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है,बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और मानसिक,सामाजिक व आत्मिक विकास का आधार है।" उन्होंने आगे कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत में योग एक ऐसी कड़ी है जो वैश्विक स्तर पर देश को नेतृत्व प्रदान कर रही है।परिचर्चा के पश्चात डॉ. हसन मेहदी, सहायक आचार्य, शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा सूर्य नमस्कार एवं अन्य महत्वपूर्ण आसनों का सामूहिक अभ्यास कराया  गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों की सहभागिता रही,जिन्होंने योग के महत्व और उसकी वर्तमान समय में प्रासंगिकता को गहराई से समझा।

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