आईआईटी के प्रो. एस एन त्रिपाठी ने वायु प्रदूषण के स्रोतों पर किया शोध

 स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को किया रेखांकित, नेचर कम्युनिकेशंस में शोध प्रकाशित

आईआईटी के प्रो. एस एन त्रिपाठी ने वायु प्रदूषण के स्रोतों पर किया शोध

कानपुर। उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों और मानव स्वास्थ्य पर उससे पड़ने वाले प्रभावों पर कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर एस एन त्रिपाठी ने शोध किया है। उनका यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन से पता चलता है कि स्थानीय उत्सर्जन, विशेष रूप से विभिन्न ईंधनों के अधूरे दहन से, क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जबकि पिछले अध्ययनों ने भारत में वायु प्रदूषण की गंभीरता को उजागर किया है लेकिन सटीक श्रोतों और उनके सापेक्ष योगदान की पहचान करना अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। प्रो. त्रिपाठी की टीम ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं के सहयोग से इस मुद्दे की व्यापक समझ हासिल करने के लिए दिल्ली और उसके आस-पास की जगहों सहित भारत में गंगा के मैदानी इलाकों में पांच स्थानों से वायु गुणवत्ता डेटा का विश्लेषण किया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और सतत ऊर्जा इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने कहा कि वायु प्रदूषण के स्रोतों और उत्तरी भारत में मानव स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव के बारे में हमारे अध्ययन से प्राप्त महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि हमें वायु गुणवत्ता में सुधार और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए और अधिक प्रभावी रणनीति विकसित करने में मदद करेगी। इस अध्ययन से स्थानीय उत्सर्जन और अकुशल दहन द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका की अधिक समझ पैदा हुई है। यह बहुत गर्व की बात है कि यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है, जो सभी प्राकृतिक विज्ञानों को कवर करने वाली अग्रणी सहकर्मी-समीक्षित, ओपन-एक्सेस पत्रिकाओं में से एक है।

इस अध्ययन में पाया गया कि स्थानीय स्रोत और प्रक्रियाएं पूरे क्षेत्र में व्यापक वायु प्रदूषण में योगदान देने वाले मुख्य कारक हैं। दिल्ली के अंदर, यातायात, आवासीय हीटिंग और औद्योगिक गतिविधियों से अमोनियम क्लोराइड और कार्बनिक एरोसोल प्रमुख योगदानकर्ता हैं। दिल्ली के बाहर, कृषि अपशिष्ट जलाने से होने वाला उत्सर्जन और इन उत्सर्जन से बनने वाले द्वितीयक कार्बनिक एरोसोल अधिक प्रचलित हैं। इस समस्या में योगदान लकड़ी, गोबर, कोयला और पेट्रोल जैसे ईंधन का अधूरा दहन भी शामिल है। इससे हानिकारक कण बनते हैं जो हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

प्रो. त्रिपाठी ने आगे बताया कि ऑक्सीडेटिव क्षमता उन मुक्त कणों को संदर्भित करती है जो तब उत्पन्न होते हैं जब प्रदूषक पर्यावरण या हमारे शरीर में कुछ पदार्थों के साथ संपर्क करते हैं। ये मुक्त कण कोशिकाओं, प्रोटीन और डीएनए के साथ प्रतिक्रिया करके नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऑक्सीडेटिव क्षमता मापती है कि वायु प्रदूषण के कारण इस प्रतिक्रिया की कितनी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप श्वसन संबंधी रोग, हृदय रोग और तेजी से उम्र बढ़ने जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

अध्ययन में पाया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में दहन दक्षता में सुधार के लिए लक्षित हस्तक्षेपों के माध्यम से इस मुद्दे को संबोधित करने और उत्सर्जन को कम करने की तत्काल आवश्यकता है।आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मनिन्द्र अग्रवाल ने कहा कि यह अध्ययन भारत के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए आईआईटी कानपुर की प्रतिबद्धता का उदाहरण देता है। प्रोफेसर त्रिपाठी का शोध मूल्यवान अंतर्दृष्टि और ज्ञान प्रदान करता है जो नीति निर्माताओं और हितधारकों को वायु प्रदूषण और हमारे स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों को कम करने के प्रयासों में मार्गदर्शन कर सकता है।

Tags: kanpur

About The Author

Latest News

मुख्यमंत्री समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दी माधवी राजे सिंधिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि मुख्यमंत्री समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दी माधवी राजे सिंधिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
ग्वालियर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद एवं पार्टी के...
स्वयं के विकास के साथ समाज में भागीदारी ही वास्तविक सफलता : सोनमणि बोरा
ओडिशा में भाजपा सरकार बनते ही किसानों से खरीदेंगे 31सौ रुपये में धान - विष्णु देव साय
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिलेश यादव कहते हैं कि हमारी सरकार बनेगी तो मुफ्त में राशन देंगे लेकिन जब सत्ता में थे तो यही लोग माफिया के सागिर्द बनकर गरीबों का हक हड़प लेते थे: योगी
भाजपा सरकार युवाओं को नौकरी नहीं देना चहती प्रतियोगी परीक्षाओं के 10 से अधिक बार पेपर लीक हो चुके हैं लगता है इस सरकार में ही लीकेज है: अखिलेश यादव
आरएमएल में अनियंत्रित रक्तचाप के विरुद्ध जागरूकता अभियान
क्षेत्राधिकारी यातायात व प्रभारी निरीक्षक यातायात द्वारा जनमानस को यातायात के नियमों एवं सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया