मौसमः ठाकुर जी को भी लगने लगी सर्दी, धारण किए गर्म वस्त्र
- बदल गई ठाकुर श्री बांके बिहारी की भोग सेवा
मथुरा। सर्दी का प्रभाव बढ़ते ही लोगों के गर्म कपड़े निकल आए हैं। ऐसे में ठाकुर बांके बिहारी को सर्दी दूर करने में सेवायत जुट गए हैं। ठाकुर जी को गर्म पोशाक पहनाने के साथ भोग में केसर-बादाम का हलवा, मेवा युक्त गर्म दूध, पंचमेवा व गरिष्ठ पदार्थ भोग अर्पित कर रहे हैं। सलीन के वस्त्र धारण कराए जा रहे हैं। ताकि मौसम के अनुरूप ठाकुरजी को ठंड का प्रभाव न हो सके। मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया कि मौसम में बदलाव के साथ ही ठाकुरजी की राग और भोग सेवा में बदलाव करने की परंपरा है। काजू, बादाम, चिलगोजा, पिस्ता समेत पंचमेवा का भोग लगाया जा रहा है। मंदिर सेवायत श्रीनाथ गोस्वामी ने बताया कि सर्दियों में चार बार सुबह,दोपहर,शाम और रात को ठाकुर जी की हिना,केसर और कस्तूरी इत्र से मालिश होती है।
ठाकुर जी विश्राम करते हैं तो हिना इत्र से उनकी मालिश कर गर्माहट लाने के प्रयास में सेवायत जुटे हैं। सर्दी का प्रभाव और बढ़ने पर केसरयुक्त गर्म दूध और खीर के साथ केसर का हलवा, जिसमें पंचमेवा की मात्रा में बढ़ाई गई है, भोग में परोसा जा रहा है। ठा. बांकेबिहारी को सुबह शृंगार के दौरान बालभोग, दोपहर में राजभोग, शाम को मंदिर खुलने के साथ उत्थापन भोग और रात को शयन भोग परोसा जाता है। मंदिर के पट जब बंद होते हैं, तो ठाकुरजी को शयन कराने के साथ उन्हें गर्म केसरयुक्त दूध और पान का बीड़ा भी अर्पित किया जा रहा है।
रात में ठाकुरजी को भूख लगे तो वह रखे चार लड्डुओं का सेवन कर सकते हैं। इसलिए उनके शयन कक्ष में टिफिन में चार लड्डू भी रखे जाते हैं। ठा. बांके बिहारी को हिना इत्र का प्रयोग स्नान व मालिश के लिए किया जा रहा है, ताकि बदलते मौसम में उन्हें गुलाबी ठंड का असर न हो। वहीं सेवायत नितिन सांवरिया ने बताया कि जैसे जैसे ठंड का प्रभाव बढ़ता जाएगा। ठाकुर जी को ठंड से बचाव के लिए और भी कई उपाय किए जाएंगे। जब ठंड बढ़ जाती है, तो ठाकुर जी के शयनकक्ष में अंगीठी रखी जाती है। जिससे कि ठाकुर जी को रात में ठंड ना लगे। वही ठाकुर जी को लोई उड़ाई जाती है। साथ ही गर्म और मोटी रजाइयों से ठाकुर जी का बिछौना किया जाता है।
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