कुशीनगर : दिन में खिली धूप, शाम को फिर गलन बरकरार

कुशीनगर : दिन में खिली धूप, शाम को फिर गलन बरकरार

उपेंद्र कुशवाहा

पडरौना,कुशीनगर। कड़ाके की ठंड का असर सोमवार की शाम से अचानक बढ गया। सुबह धूप निकली, तो इससे लोगों को राहत मिल रही थी। दोपहर बाद से सड़कों और बाजारों में चहल-पहल बढ़ी, लेकिन दिन ढलते ही हल्की हवा चलने से गलन फिर बढ़ गई। लोग अलाव के पास बैठकर ठंड से बचने का प्रयास करते देखे गए।

पिछले दो तीन दिन से जिले में पड़ रही ठंड ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार तापमान में गिरावट से सर्दी, खांसी व बुखार के मरीज अस्पताल में बढ़ गए हैं। ठंड से इंसान के अलावा जानवर ओर पशु-पक्षी भी परेशान हैं। सोमवार को सुबह तेज धूप निकलने से लोगों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन शाम होते ही गलन अचानक बढ। लोग धूप सेंकने बाहर निकले जरूर,लेकिन शाम होते-होते लोग फिर घरों में कैद हो गए।

ठंड बढ़ने दीजिए,तब जलाएंगे अलाव

अधिक ठंड बढ़ने का इंतजार कर रहे है अधिकारी

पडरौना,कुशीनगर। जिले में ठंड बढ़ गई है और कोहरा भी छाने लगा है, लेकिन जिले के अधिकतर स्थानों पर अलाव नहीं जलाए जा रहे हैं। अधिकारी और अधिक ठंड बढ़ने और घना कोहरा छाने का इंतजार कर रहे हैं।सोमवार को जब पड़ताल की गई तो सामने आया कि ठंड से बचने के उपाय को लेकर अधिकारी संजीदा नहीं हैं। अधिकारियों का कहना है कि ठंड बढ़ने के बाद अलाव की व्यवस्था की जाएगी। कुछ स्थानों पर व्यवस्था कर दी गई है। 

नगर के सुभाष चौक, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, कॉलेज मोड़, कोतवाली चौक, पुरूष एवं नेत्र चिकित्साल, तिलक चौक, कसेरा टोला मोड़, बेलवा चुंगी चौराहा, जटहां रोड, अंबे चौक, साहबगंज, छावनी, तहसील परिसर समेत 25 से अधिक स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की जाती है। सुभाष चौक पर देर रात तक लोगों की चहल-पहल रहती है। इसलिए सुभाष चौक के अलावा कहीं पर भी अलाव नहीं जलाया जा रहा है।पडरौना नगर पालिका परिषद की तरफ से जलकल भवन परिसर में दो सौ बेड का स्थायी रैन बसेरा बनाया गया है। यहां नगर पालिका परिषद की तरफ से राहगीरों के रहने के अलावा रात में भोजन और सुबह नास्ते की व्यवस्था की गई है।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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