किसानो का हल्ला बोल,कपड़े उतार पुलिस से भिड़े
खाद-दवाई नकली मिलने का आरोप
लखनऊ। मंगलवार किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय किसान यूनियन श्रमिक जनशक्ति के बैनर तले किसान परिवर्तन चौक से हजरतगंज गांधी प्रतिमा की ओर बढ़े। पुलिस ने बैरिकेडिंग करके उन्हें रोक लिया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हाथों में लठ और भारतीय किसान यूनियन का झंडा लिए किसान केडी सिंह बाबू स्टेडियम के सामने धरने पर बैठ गए। गुस्साए किसानों ने कपड़े उतार कर नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों ने जय जवान-जय किसान, किसानों ने ठाना है, अपनी बात मनवाना है के नारे लगाए।
किसानों ने कहा कि राजधानी के अधिकारी भ्रष्टाचारी और दलाल हैं। कृषि विभाग के अधिकारी एसी केबिन में बैठकर कागजों में योजनाएं चलाते हैं। कभी बाहर निकलकर नहीं देखते हैं कि किसान और गाय की हालत क्या है, जब तक उनकी मुख्यमंत्री से वार्ता नहीं हो जाएगी, यहां से नहीं हटेंगे। किसानों ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर कंक्रीट की दीवारें उन्हें नहीं रोक पाईं तो यह बैरिकेडिंग क्या रोकेंगी? उन्होंने बड़ी-बड़ी खाई पार की है। अपने हक के लिए हर लड़ाई लड़ेंगे।
भारतीय किसान यूनियन श्रमिक जनशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश यादव ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि अन्नदाताओं को अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। संघर्ष करना पड़ रहा है। किसानों को सम्मान और दोगुनी आय सिर्फ कागजों में मिल रहा है। जमीन पर किसान की ना तो आय दोगुनी हुई है और ना ही मांग पूरी हो रही है। कमलेश यादव ने कहा कि बिजली, नहर, पशु, खाद की तमाम समस्याएं हैं। अपनी मांगों से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के लिए हजरतगंज गांधी प्रतिमा जा रहे थे मगर हमारा रास्ता रोक दिया गया। 8 दिनों से हम लोग अभियान चला रहे थे। उसके बाद कृषि मंत्री ने नकली खाद पर छापेमारी की। दो दुकानों पर कृषि मंत्री को 400 रुपए ज्यादा लेकर ठगा गया। ऐसे में सोचिए ग्रामीण क्षेत्रों में आम किसान के साथ क्या हो रहा होगा? उन्होंने कहा कि प्रदेश में बीज नकली, दवा नकली सब कुछ नकली मिल रहा है।
सरकार अपने अधिकारियों और मंत्रियों से कहे की आंखें खोलें और किसान की समस्याएं सुने। कमलेश यादव ने कहा कि लखनऊ में 14 गोशालाएं और 28 कांजी हाउस बने हैं फिर भी गाय और अन्य जानवर मर रहे हैं। मुख्यमंत्री गाय को माता मानते हैं मगर राजधानी के अधिकारी भ्रष्टाचारी और दलाल है। कृषि विभाग में बैठे भ्रष्टाचार अधिकारी कभी देखने नहीं जाते हैं कि किसान और गाय किस हाल में हैं।
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