गेमिंग ऐप से 25 करोड़ की ठगी करने वाले 15 गिरफ्तार
विदेश में बैठा सरगना चलवा रहा गैंग
- पीजीआई थाना क्षेत्र का मामला
लखनऊ। पीजीआई इलाके में गेमिंग ऐप के जरिए लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरोह अब तक सैकड़ों लोगों से 25 करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है। पुलिस टीम को इनके पास 70 मोबाइल, 115 एटीएम, 38 सिम सहित अन्य सामान मिला है। गैंग के सरगना श्रीलंका, सिंगापुर, दुबई सहित अन्य देशों में बैठकर साइबर जालसाजी करवा रहे हैं।
डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि बुधवार को पुलिस को सूचना मिली कि शामिया मेल रोड के टावर-ए में 11वें फ्लोर पर कमरा नम्बर 1105 में 15 से 20 लोग रुके हैं। जिनके पास मोबाइल, लैपटॉप और अन्य चीजें हैं, जो किसी गलत काम में जुटे हैं। सूचना पर साइबर क्राइम थाना, साइबर क्राइम सेल और पीजीआई पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए छापेमारी की। फ्लैट में ऊपर के कमरे में ऑफिस बनी थी। जिसमें कई कुर्सी-मेज लगे थे। जहां कई लोग मोबाइल से अलग-अलग सिम के जरिए बातचीत करते हुए मिले। वहां पर कई बैंकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड पड़े थे। पुलिस को देखकर सब अपना लैपटॉप बंद करके भागने का प्रयास करने लगे। पुलिस ने मौके से 15 लोगों को हिरासत में लिया।
पकड़े गए लड़कों की पहचान पलिया लखीमपुर निवासी हरिप्रीत सिंह (23), सिवान बिहार निवासी अभिषेक कुमार राजभर (22), आशीष कुमार (24), मन्नू कुमार (25), रितेश सिंह, इफ्तेखार अली (25), शुभम सोनी, सोनू अली (19), करन कुमार (22), विकास कुमार (25), संजीव कुमार (26), गोपालगंज बिाहर निवासी रितेश सिंह (21), खामपार देवरिया निवासी संदीप कुमार (29), खजुरी भोपाल निवासी मनीष कुमार, छपरा बिहार निवासी रवि सिंह (21) के रूप में हुई।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि अन्ना रेड्डी नाम के गेमिंग एप के जरिए भारत के कई राज्यों में लोगों से मोबाइल पर बातचीत करके मोटा मुनाफे का लालच देकर पैसा इन्वेस्ट कराते हैं। इसके बाद उनके पैसों को हड़प लेते हैं। गैंग का सरगना विशाल यादव उर्फ गन्नी उर्फ प्रिन्स है। जो कर्मचारी रखकर सोशल मीडिया के जरिए अन्ना रेड्डी एप से लोगों को जुड़वाता है। कर्मचारी फोन कॉल करके टॉस्क देते हैं। मोटे मुनाफे का लालच देकर अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कराते हैं, फिर उसे फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर करके पैसा निकाल लेते हैं।
अगर किसी ने शिकायत कर दी तो उस अकाउंट को फ्रीज कर दिया जाता है। जिसके बाद उस सिम से चल रहे अकाउंट का संचालन भी बंद कर देते हैं। समय-समय पर अपना ठिकाना भी बदलते रहते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन सट्टा भी खिलवाते हैं। जालसाजों ने पीजीआई इलाके में एक महीने पहले ही ऑफिस खोला। यहां पर 50 हजार रुपए में पेंट हाउस किराए पर लिया। मकान मालिक को मल्टीनेशनल ऑफिस खोलने की बात बताई। इसके बाद नौकरी के नाम पर लड़कों को हायर किया। हालांकि काम करने वाले सभी लड़कों को ठगी की जानकारी थी। इन लड़कों का काम के हिसाब से इंसेंटिव तय था।
ठगी का जितना पैसा आता उस हिसाब से इंसेंटिव मिलता। साइबर टीम ने मोबाइल, बैंक पासबुक, चेक बुक को साइबर पोर्टल से जांच की तो मोबाइल पर 69 शिकायत पास बुक व चेक बुक पर 157 साइबर ठगी की शिकायत मिली। जो कई राज्यों से साइबर पोर्टल पर दर्ज कराई गई थी। इनके करोड़ों रुपए के ट्रांजैक्शन मिले। पुलिस टीम को जालसाजों के पास से 70 मोबाइल फोन, 11 लैपटाप, 9 लैपटॉप चार्जर, 16 चार्जर मोबाइल फोन, 5 बोर्ड चार्जर, 9 पैन कार्ड, 1 वाईफाई कैमरा, 115 एटीएम/डेबिट कार्ड, 25 चेक बुक, 53 पासबुक, 38 सिम कार्ड खुला, 26 सिम कार्ड मिले हैं।
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