वकील पैनल में 30 फीसदी महिलाएं हों: जस्टिस बीवी नागरत्ना

वकील पैनल में 30 फीसदी महिलाएं हों: जस्टिस बीवी नागरत्ना

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना ने केंद्र और राज्य सरकारों के वकील पैनल में 30 फीसदी महिला वकीलों को शामिल करने की अपील की है। नागरत्ना ने कहा कि वकालत आदि कानूनी सलाहकार भूमिकाओं में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व न होने के कारण न्यायपालिका में लैंगिक असमानता पैदा हुई है।बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि हाईकोर्ट में सक्षम महिला अधिवक्ताओं की पदोन्नति बेंच में अधिक विविधता लाने का एक अहम समाधान हो सकता है।

जस्टिस नागरत्ना ने सवाल उठाया कि यदि पुरुष अधिवक्ताओं को 45 वर्ष से कम आयु होने पर हाईकोर्ट में जज भी नियुक्त किया जा सकता है, तो सक्षम महिला अधिवक्ताओं को क्यों नहीं? नागरत्ना ने कहा कि सफलता के लिए कोई ऐसा गुण नहीं है जो केवल पुरुषों के लिए हो और महिलाओं में न हो। युवा महिलाओं के पास ऐसे रोल मॉडल और मार्गदर्शकों का अभाव है जो उन्हें कानूनी पेशे में आगे बढ़ने और सफल होने के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित और मदद कर सकें।

शीर्ष अदालत की जस्टिस ने जोर दिया कि कानूनी पेशे में महिलाओं की प्रगति केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों से नहीं बल्कि प्रणालीगत बाधाओं को तोड़ने के सामूहिक प्रयासों से जुड़ी है। कांच की छत को तोड़ने के लिए पारंपरिक लिंग भूमिकाओं और गुणों को चुनौती देने की आवश्यकता है।नागरत्ना ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा सर्वोपरि है और कार्यबल में उनकी निरंतर भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जब लड़कियां शिक्षित होती हैं, तो वे बड़े सपने देखने, अपने जुनून को पूरा करने और अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त होती हैं।

उन्होंने करियर और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाते समय महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते कहा कि शादी का इरादा रखने वाली महिलाओं को मातृत्व दुविधा बल्कि ‘पति दुविधा’ में रहती हैं, ये ऐसे प्रश्न हैं जिन पर हमें आधुनिक समाज के रूप में विचार-विमर्श करना चाहिए और उन पर लगातार कार्य करना चाहिए।जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जहां तक कानूनी पेशे का सवाल है, केंद्र या राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले कम से कम 30 प्रतिशत विधि अधिकारी महिलाएं होनी चाहिए। इसके अलावा, सभी सार्वजनिक क्षेत्रों के विधिक सलाहकारों के पैनल में कम से कम 30 प्रतिशत महिलाएं होनी चाहिए, इसी तरह सभी राज्य संस्थाओं और एजेंसियों में भी।

इसके अलावा, उच्च न्यायालयों में सक्षम महिला अधिवक्ताओं की पदोन्नति बेंच में अधिक विविधता लाने का एक समाधान है।नागरत्ना ‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग: विमेन हू मेड इट ‘ विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रही थीं। मुंबई विश्वविद्यालय और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित यह सेमिनार भारत की पहली महिला वकील कॉर्नेलिया सोराबजी की शताब्दी समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था।

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां