गगनयान के लिए इसरो ने चुन लिए अंतरिक्ष यात्री

गगनयान के लिए इसरो ने चुन लिए अंतरिक्ष यात्री

नई दिल्‍ली। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अब गगनयान (Gaganyaan ) की तैयारी कर रहा है। कहा जा रहा है कि इसरो ने इसके लिए अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट्स) भी चुन लिए हैं। हालांकि, अब तक स्पेस एजेंसी ने इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन भारतीय वायुसेना के एक वीडियो से इस बात के संकेत मिल रहे हैं।91वीं वर्षगांठ पर IAF की तरफ से माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया गया था। 11 मिनट लंबे इस वीडियो में वायुसेना की उपलब्धियां गिनाई गई थीं। खास बात है कि इस वीडियो में तीन जवानों की झलक भी दिखाई गई, जिनका चुनाव गगनयान के लिए किया गया था। वीडियो में तीनों जवान तैयारी करते नजर आ रहे थे।हालांकि, सुरक्षा के मद्देनजर एस्ट्रोनॉट्स की पहचान को जाहिर नहीं किया गया है। इसरो ने भी बताया है कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फेसिलिटी में तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। एस्ट्रोनॉट्स के लिए मॉड्यूल में शैक्षणिक पाठ्यक्रम, गगनयान उड़ान प्रणाली, परवलयिक उड़ानों के माध्यम से सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण परिचित, एयरो-मेडिकल प्रशिक्षण, वापसी और पुनर्वास प्रशिक्षण, उड़ान प्रक्रियाओं में महारत हासिल करना और चालक दल प्रशिक्षण सिमुलेटर पर प्रशिक्षण शामिल हैं।साथ ही प्रशिक्षण के हिस्से के रूप में हवाई चिकित्सा प्रशिक्षण, आवधिक उड़ान अभ्यास और योग को भी शामिल किया गया है। खास बात है कि इसरो इस मिशन के लिए सबसे अहम मानव सुरक्षा को मान रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया कि इसके लिए कई आधुनिक तकनीकों को विकसित किया जा रहा है।गगनयान (Gaganyaan) का मकसदसंभावनाएं जताई जा रही हैं कि गगनयान मिशन साल 2024 में लॉन्च हो सकता है। इसके साथ ही भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। इस सूची में अमेरिका, रूस और चीन का नाम शामिल है। गगनयान मिशन की पहली मानवरहित उड़ान प्रयोग के तौर पर जल्द लॉन्च होगी। वहीं, इसरो ने अंतरिक्ष यान को तीन लोगों के लिहाज से डिजाइन किया है। गगनयान अंतरिक्षयान 3 दिनों के मिशन के दौरान 400 किमी के ऑर्बिट में भेजा जाएगा।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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