केजीएमयू में पहला एनुअल कॉन्क्लेव की शुरूआत
देश के करीब 30 हेमेटोलॉजिस्ट करेंगे प्रतिभाग
लखनऊ। केजीएमयू के अटल बिहारी कन्वेंशन सेंटर में एक्सप्लोरिंग इमर्जिंग कॉन्सेप्ट इन हेमेटोलॉजी थीम के तहत पहला एनुअल कॉन्क्लेव की शुरूआत की गयी। शनिवार को कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद के नेतृत्व में प्रो ऐके त्रिपाठी की अध्यक्षता में शुरू किया गया। जिसमें आयोजक सचिव डॉ एसपी वर्मा ने बताया कि कॉन्क्लेव में देश के 30 प्रसिद्ध हीमेटोलॉजिस्ट सहभागिता कर रहे है। जिनमे डॉ आरके जेना, डॉ विजय तिलक डॉ एमबी अग्रवाल, डॉ देवदत्त बासु, डॉ पंकज मल्होत्रा, डॉ तूफान कान्ति दोलई होंगे।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश से 200 से ज्यादा डेलीगेट्स सहभागिता कर रहे है। कॉन्क्लेव में हेमेटोलॉजी से सम्बंधित लिम्फोमा, मायलोमा, एनीमिया, ब्लीडिंग, एप्लास्टिक एनीमिया के विषयों पर उपचार से संबंधित व्याख्यान दिये जायेंगे। वहीं प्रथम सत्र में ब्लड कैंसर के उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा हुई । जिसे पुडुचेरी से आये हुए डॉ देवदत्त बासु ने बताया आज ब्लड कैंसर के उपचार में बहुत सी ऐसी दवाएं उपलब्ध है जिनको मरीज घर पर सामान्य दवाओं की तरह ले सकता है। उन्होंने बताया कि नई जनरेशन वाली दवाएं भी आ रही है जो कि बहुत ही कारगर है। सीएमएल,सीएलएल ऐसे ब्लड कैंसर है, जो कि दवाओं से काफी हद तक कंट्रोल हो जाते है। मरीज सामान्य जीवन जीता है। डॉ देवदत्त बासु बताते है ऐसे ही अन्य मायलो प्रोलीफेरेटिव नियोप्लासम में भी अब दवाएं उपलब्ध है।
इसी क्रम में डॉ तूफानी कान्ति दोलई ने बताया ब्लड कैंसर के उपचार में डायग्नोसिस महत्वपूर्ण होती है,उसी के आधार पर उपचार का तरीका निर्धारित किया जाता है। बोनमैरो की जांच अत्यधिक महत्वपूर्ण है। डॉ पंकज मल्होत्रा ने कहा कि सीएलएल का उपचार ओरल ट्रीटमेंट के द्वारा किया जा सकता है। इसमें कुछ मरीजो को बाद में दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती। प्रो ऐके त्रिपाठी ओरेशन में मुम्बई के प्रो एमबी अग्रवाल ने प्लेटलेट्स की उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी 2-3 माइक्रोन की कोशिका की हमारे जीवन मे बहुत उपयोगिता है। उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स की कमी अक्सर गंभीर बीमारियों की ओर संकेत करती है।