सरकार ने 16वें वित्त आयोग से की केंद्रीय करों में राज्यांश 50 प्रतिशत करने की मांग

सरकार ने 16वें वित्त आयोग से की केंद्रीय करों में राज्यांश 50 प्रतिशत करने की मांग

रांची। झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग के समक्ष केंद्रीय कर संग्रह से प्राप्त राशि में राज्यों के लिए 41 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग की है। शुक्रवार 30 मई को केंद्रीय वित्त आयोग के समक्ष प्रस्ताव पेश करते हुए झारखंड सरकार ने प्रेजेंटेशन के जरिए मांग रखी और अगले पांच वित्तीय वर्षों के लिए तीन लाख तीन हजार करोड़ की मांग की। हालांकि, राजधानी के होटल रेडिसन ब्लू में वित्त आयोग के साथ राज्य सरकार के आला अधिकारियों की मैराथन बैठक में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 55 प्रतिशत करने की मांग करते दिखे।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र के शुद्ध कर संग्रह का 41 प्रतिशत राज्यों को दिया जा रहा है। मैं मांग करता हूं कि राज्यों को दी जाने वाली राज्यांश 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत की जाए। राज्यों को केंद्रीय वित्त आयोग से अपेक्षा है कि वह राज्यों के बीच विकास की असमानता को दूर करने या राज्यों के बीच समानता बनाने के लिए कम विकसित राज्यों को अधिक राशि देने की अनुशंसा केंद्र सरकार से करे।

राज्य सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव की जानकारी देते हुए 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगड़िया ने पत्रकारों को बताया कि झारखंड ने राज्यांश के मानक में बदलाव की मांग की है, जिसके तहत तुलनात्मक आय के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित 45 प्रतिशत अंक को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की गई है। इसी तरह, जनसंख्या पर निर्धारित 15 प्रतिशत की जगह 17.5 प्रतिशत क्षेत्रफल पर निर्धारित 15 प्रतिशत अंक, जीएसटी क्षतिपूर्ति पर 5 प्रतिशत अंक, वन एवं पारिस्थितिकी पर निर्धारित 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत अंक करने तथा जनसांख्यिकी पर निर्धारित 12.5 अंक को समाप्त करने की मांग की गई है।

मीडिया के एक सवाल के जवाब में वित्त आयोग ने कहा कि नगर निकाय चुनाव नहीं होने के कारण 15वें वित्त आयोग के तहत अनुदान की लंबित राशि इस वर्ष चुनाव होने पर राज्य को मिल जाएगी। इस वर्ष चुनाव नहीं होने पर यह नहीं मिल पाएगी।

वित्त आयोग के समक्ष केंद्र पर बकाया राज्यांश पर चर्चा करते हुए राज्य के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोयला खनन क्षेत्र की विभिन्न कोयला कंपनियों पर कुल 1,36,042 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। अगर केंद्र सरकार इस बकाया राशि का भुगतान कर दे तो झारखंड के विकास को निश्चित रूप से गति मिलेगी। इसके अलावा झारखंड को केंद्र सरकार से वर्ष 2024 से मई 2025 तक मनरेगा के तहत सामग्री मद में 775 करोड़ रुपये और मजदूरी मद में 525 करोड़ रुपये यानी कुल 1300 करोड़ रुपये अब तक नहीं मिले हैं।

वहीं उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक केंद्र सरकार से मिलने वाली कुल राशि 11,152.89 करोड़ रुपये के विरुद्ध मात्र 5917.46 करोड़ रुपये ही मिले हैं। केंद्र सरकार की ओर से कुल 5235.43 करोड़ रुपये की राशि अभी तक नहीं दी गई है। इसी तरह राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत झारखंड को अभी भी 78 करोड़ 27 लाख रुपये मिलना बाकी है।

बैठक में मुख्य सचिव अलका तिवारी के अलावा राज्य सरकार के मंत्री रामदास सोरेन, मंत्री योगेंद्र प्रसाद, मंत्री सुदिव्य कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

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