दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा 'बहुत खराब'
- अगले दो-तीन दिनों तक सुधार के आसार नहीं- मॉनिटरिंग के लिए छह सदस्यीय स्पेशल टास्क फोर्स का गठन
नई दिल्ली, 16 नवंबर। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अगले दो-तीन दिनों तक 'बहुत खराब' श्रेणी में ही रहने की संभावना है। सरकारी तंत्र की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि अगले दो-तीन दिनों तक प्रदूषण 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने की संभावना है। इस संदर्भ में आज की बैठक में निर्णय हुआ कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के नियमों को ज़मीनी स्तर पर लागू करने के लिए निरीक्षण तेज़ किया जाए। मॉनिटरिंग के लिए छह सदस्यीय स्पेशल टास्ट फोर्स का गठन किया गया है। पर्यावरण विभाग के विशेष सचिव इसके प्रभारी होंगे।
दिल्ली के विभिन्न इलाकों की वायु गुणवत्ता गुरुवार को बहुत खराब से गंभीर श्रेणी के बीच रही। शाम 04 बजे दिल्ली के पूसा इलाके में एक्यूआई 440, द्वारका सेक्टर-8 में 462, पंजाबी बाग में 367, नजफगढ़ में 387 और श्रीनिवासपुरी में 363 दर्ज की गई। इसके 24 घंटे पहले यानी बुधवार शाम 04 बजे दिल्ली का औसत एक्यूआई 401 दर्ज किया गया था। मंगलवार को यह 397 था।
शून्य से 50 के बीच एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब, 401 से 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर अत्यधिक गंभीर माना जाता है।
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हवा नहीं चलने और कम तापमान के कारण प्रदूषक तत्व हवा में बने हुए हैं और अगले कुछ दिन तक राहत के आसार नहीं हैं। राज्य सरकार द्वारा निर्माण कार्य और शहर में डीजल से चलने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कड़े कदम उठाए जाने के बावजूद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की वायु गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है।
शहर के हवा के प्रदूषित होने का मुख्य कारण दीपावली के दिन छोड़े गए पटाखों को माना जा रहा है, तो पंजाब में जल रही पराली भी एक कारण है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर की एक संयुक्त परियोजना के हालिया निष्कर्षों से पता चला कि बुधवार को राजधानी के वायु प्रदूषण में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान करीब 38 फीसदी था।
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