पहाड़ी माई मंदिर आस्था का केंद्र, श्रद्धालुओं का लगा रहता है तांता
सालभर लगा रहता है भक्तों का तांता
बलरामपुर । छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रामानुजगंज स्थित पहाड़ी माई मंदिर अपनी खूबसूरती और विशेषताओं के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है। ऊंचाई पर स्थित होने के बावजूद यहां बारहों महीनें श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां दर्शन करने आने वालों में झारखंड और उत्तर प्रदेश के भी श्रद्धालु शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के एकदम उत्तर में कनहर नदी के तट पर बसा रामानुजगंज छत्तीसगढ़ का अंतिम शहर है। कनहर नदी उत्तर सरगुजा की सबसे बड़ी नदी है। इसके तट पर बसा यह शहर मिली जुली दो प्रांतो की संस्कृति को बड़ी खूबसूरती से अपने अंदर आत्मसात किए हुए है। यहां के लोग सहस सरल और मिलनसार हैं। नदी के दूसरे तट पर झारखंड प्रांत का पहला कस्बा गोदमाना बसा हुआ है। दोनों प्रांतों के लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है।
इसी प्रकार वहां के लोगों का भी पर्व-त्यौहार में पहाड़ी माई मंदिर में दर्शनार्थ आना-जाना लगा रहता है। मालकेतु पर्वत पर स्थित पहाड़ी माई मंदिर पहुंच कर लोगों को बहुत सुकून महसूस होता है। यहां की हरियाली, सात पहाड़ों से घिरा मंदिर लोगों को आकर्षित करता है। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक यहां विशेष आयोजन होते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के कारण बारह महीने यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है। यहां से पूरा शहर, कन्हर नदी का बहता पानी, आसपास के प्राकृतिक दृश्य लोगों का मन मोह लेता है। मंदिर के परिसर को पर्यटन क्षेत्र बनाने के लिए स्थानीय लोगों ने अथक प्रयास किया हैं।
वार्ड क्रमांक 13 के रिंगरोड के पास पहाड़ी माई मंदिर स्थित है। बाईपास रोड से सीधे मंदिर के लिए रास्ता है। पहाड़ के नीचे पार्क जलाशय है। यहां आए लोग जलाशय में नौका बिहार का आनंद भी उठाते हैं। यहां से मंदिर जाने के लिए पहाड़ की चढ़ाई पार करनी होती है। मंदिर जाने वाला रास्ता पहाड़ प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। नीचे से ऊपर देखने पर पहाड़ का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है। स्थानीय लोग सुबह-शाम मंदिर पहुंच जाते हैं और पूजा-अर्चना कर यहां की प्रकृति में शांति महसूस करते हैं। इसके साथ ही सावन में लोग कन्हर नदी से जल भरकर पहाड़ी माई मंदिर परिसर में स्थित भगवान शिव की प्रतिमा पर जलाभिषेक करते हैं।
सात पहाड़ियों से घिरा है मंदिर
पहाड़ी माई मंदिर सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है। चारों ओर ऊंचे-नीचे पहाड़ एवं सिर्फ हरियाली दिखाई पड़ती है। पहाड़ के नीचे रामानुजगंज जलाशय का बड़ा बांध तथा सुंदर वनवाटिका है। यहां से आस-पास के गांव एवं कन्हर नदी का बहता पानी देखते ही बनता है। मंदिर में दर्शन कर वापस आने के दौरान लोग वनवाटिका जलाशय का मजा लेते हैं। जलाशय में लोग नौका बिहार भी करते हैं।
तीर्थ स्थल के रूप में मिली पहचान
जिले में पहाड़ी माई मंदिर को तीर्थ स्थल के रूप में पहचाना जाता है। यहां छत्तीसगढ़ सहित झारखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। यहां आकर लोग वापस जाना नहीं चाहते हैं। इस मंदिर की खास बात है कि यहां जीव बलि प्रथा पूर्णतः प्रतिबंधित है। मंदिर में शादी-विवाह सहित धार्मिक अनुष्ठान कराए जाते हैं। चैत्र शारदीय नवरात्रि में मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। इस मौके पर स्थानीय सहित दूरदराज से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
श्रमदान कर किया सड़क व सीढ़ी निर्माण
शुरुआत में लोगों को टेढ़े-मेढ़े रास्ते से होते हुए मंदिर जाना पड़ता था। इस परेशानी से छुटकारा पाने लोगों ने श्रमदान, चंदा कर सड़क बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए स्थानीय नगरवासियों की बैठक बुलाकर बैठक में लोगों ने आपस में चंदा एकत्रित कर सड़क बनाने की ठानी। देखते ही देखते वर्ष 2016 में नगरवासियों के सहयोग से पहाड़ के नीचे से मंदिर जाने तक सीसी रोड का निर्माण कर लिया गया। बाद में सीढ़ी भी बनाई गई। उस समय नगरवासियों ने अपने-अपने नाम से सीढ़ियों का निर्माण कराया था।
कुछ समय बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों, आम नागरिकों एवं व्यवसायी वर्ग के सहयोग से अब पूर्ण विकसित सर्वसुविधायुक्त आकर्षक मन्दिर बन चुका है। यहां तक आसानी से पैदल, दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों से पहुंचा जा सकता है।
पहाड़ी मंदिर के पुजारी पवन पांडेय बताते है कि पहाड़ी माई मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है। मान्यता है कि जो लोग अपनी सच्चे मन से मुरादें लेकर आते हैं वो पूरी होती है। यहां नवरात्र में भक्तों का तांता लगा रहता है।
टिप्पणियां