बकरीद पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी करने से बचें: मदनी
नई दिल्ली। ईद-उल-अजहा के मौके पर भारत के मुसलमानों के नाम अपने एक संदेश में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि इस्लाम में कुबार्नी का कोई विकल्प नहीं है, यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसकी अदायगी हर सक्षम मुसलमान पर वाजिब है। इसलिए जिस व्यक्ति पर कुर्बानी वाजिब है, उसे हर हाल में यह फर्ज अदा करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान हालात के मद्देनजर मुसलमानों से कई तरह की सावधानी बरतने की भी अपील की है।
मौलाना मदनी ने यह भी सलाह दी कि मुसलमान कुबार्नी करते समय सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से बचें। चूंकि, धर्म में इसके बदले काले जानवर की कुरबानी भी जायज है, इसलिए किसी भी फसाद से बचने के लिए उसी पर इक्तिफाक (संतोष) करना बेहतर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी जगह शरारती तत्व काले जानवर की कुरबानी से भी रोकते हैं, तो समझदार और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से स्थानीय प्रशासन को विश्वास में लेकर कुबार्नी की जाए।
अगर फिर भी, खुदा न ख़्वास्ता, इस धार्मिक फर्ज़ की अदायगी का कोई रास्ता न निकले तो पास के किसी ऐसे इलाके में कुबार्नी कर दी जाए, जहां कोई परेशानी न हो। हालांकि, जहां पर कुबार्नी होती आई है और इस समय परेशानी है, वहां कम से कम बकरे की कुबार्नी जरूर की जाए और उसकी सूचना प्रशासनिक दफ्तर में दर्ज करा दी जाए ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो।
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