अन्नदाता के खेतों पर लगी है भाजपा की बुरी नजरः सुरेश सिंह

-भाजपा आई तो फिर लाएगी काले कृषि कानूनः सुरेश सिंह

अन्नदाता के खेतों पर लगी है भाजपा की बुरी नजरः सुरेश सिंह

-कृषि कानून वापस नहीं होते तो दुनिया के सबसे खतरनाक काले कानूनों में गिने जातेः सुरेश सिंह -जो किसानों की राह में कीलें बिछा रहे हैं, उनके ताबूत में आखिरी कील किसान ही ठोंकेंगे  

मथुरा। लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान अब अपने चरम पर पहुंच रहा है। राजनीतिक दलों ने पूरा जोर लगा दिया है। बसपा प्रत्याशी ने बुधवार को छाता क्षेत्र के गांवों में जनसंपर्क किया। आईआरएस अधिकारी रहे बसपा प्रत्याशी सुरेष सिंह ने गांव गिडोह में कहा कि भाजपा सरकार की बुरी नजर अब किसानों के खेतों पर लगी है। वह अधिकारी जरूर रहे हैं लेकिन किसान के बेटे हैं। उनका परिवार आज भी खेती बाड़ी करता है। वह किसान का दर्द समझते हैं। भाजपा सरकार ने देश के तमाम सरकारी उपक्रम बेच डाले हैं। सरकार कह रही है कि हमने बेचा नहीं मौद्रीकरण किया है। अब आपके खेतों का मौद्रीकरण करेंगे यानी आपके खेतों को बेच कर मुद्रा कमा लेना चाहते हैं। केन्द्र सरकार ने कोरोना काल में तीन कृषि कानून लाकर किसानों को उनके ही खेतों से वंचित करने का कुटिल षड्यंत्र रचा था।

लम्बे आंदोलन के बाद ये कानून तो वापस हो गये लेकिन भाजपा के मंसूबे नहीं बदले हैं। ये सरकार अगर फिर से सत्ता में आई तो  फिर काले कानून वापस ला सकती है। आज भी इस सरकार की बुरी नीयत किसानों के खेतों पर लगी है। यह ऐसी पार्टी है जो संविधान बदलने तक का दम्भ भर रही है। इन्हें न किसान से लगाव है न देश के संविधान से। किसान आंदोलन स्थगित होने से पहले किसानों के साथ हुए समझौते पर सरकार टिकी नहीं रह सकी। किसानों के साथ धोखा हुआ है। आज भी आंदोलनकारी किसान जेलों में बंद हैं। आज भी किसान दिल्ली बार्डर पर बैठे हैं। उनकी राह में भाजपा सरकार ने कीलें बिछा रखी हैं।

किसानों की राह में कील बिनाछे वाली पार्टी समझलें कि उनके ताबूत में आखिरी कील भी किसान ही ठोकेंगे। किसानों के साथ धोखेबाजी कर भाजपा ने अच्छा नहीं किया है। भाजपा सरकार ने किसानों को बदनाम करने का हर प्रयास किया है। महंगाई ने किसान की कमर तोड कर रख दी है। लगातार खेती पर लागत बढ रही है लेकिन एमएसपी पर सरकार में बैठा कोई व्यक्ति बोलने को तैयार नहीं है। छाता क्षेत्र के गांव नरी में कहा कि पूरे जनपद में सिर्फ इसी क्षेत्र में कुछ एक फैक्ट्री हैं, लेकिन यहां भी बाहरी लोगों को ही रखा जाता है। स्थानीय लोगों को काम नहीं दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर यहां कंपनी चल रही है तो स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देनी होगी। छाता क्षेत्र के अड्डा सींगापट्ट आदि गांवों में बसपा प्रत्याशी का जगह जगह जोरदार स्वागत किया गया।

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