बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी के पैर में लगी गोली

मदेयगंज थाना इलाके का मामला

बच्ची से दुष्कर्म करने वाले आरोपी के पैर में लगी गोली

  • 24 घंटे पहले दिए था घटना को अंजाम

लखनऊ। मदेयगंज थाना क्षेत्र में पुलिस और बदमाश की मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने उसे घेरा तो फायरिंग शुरू कर दी, इस पर टीम ने उसे दौड़ाया। इस दौरान पैर में गोली लगने के बाद बदमाश घायल हो गया। उसे पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसकी पहचान रेप के मोस्टवांटेड कमल किशोर उर्फ भद्दर के रूप में हुई। भद्दर के पास से तमंचा, कारतूस, खोखा, बाइक बरामद हुआ।

जानकारी के मुताबिक़ घटना बुधवार रात तड़के 3 बजे की है। वह सोमवार रात 2 बजे एक बच्ची के साथ रेप करके फरार हुआ था। पुलिस उसकी तलाश कर रही थी। भद्दर झुग्गी-झोपड़ियों में छिपकर बचता चला आ रहा था। थाना मदेयगंज की पुलिस टीम मंगलवार-बुधवार की रात 3 बजे रघुवंशी ढाल पर चेकिंग कर रही थी। इस दौरान बाइक सवार को रुकने का इशारा किया। उसने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोली चलाई। पुलिस की गोली आरोपी के पैर में लगी। इससे वह घायल होकर गिर गया। पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया। 

सूचना पर डीसीपी आशीष श्रीवास्तव भी मौके पर पहुंचे। सोमवार की रात लगभग 2 बजे भद्दर ने एक मासूम बच्ची के साथ रेप किया था। पुलिस ने रात में मुकदमा दर्ज करके उसकी तलाश शुरू की। 24 घंटे के भीतर ही मुठभेड़ में उसे दबोच लिया। कमल किशोर उर्फ भद्दर, सीतापुर के सिधौली का रहने वाला है। 

लखनऊ के थाना मदेयगंज क्षेत्र में बंधा रोड की झोपड़पट्टी में रहता था। यहां घनी बस्ती है। बाहरी मजदूर रहते हैं, जो एक-दूसरे से जान-पहचान नहीं रखते हैं। इस वजह से इसे अपना ठिकाना बनाया था। भद्दर आसपास के घरों और गलियों में दिन में घूमा करता था। वह बच्चों पर नजर रखता था। उनकी दिनचर्या समझता और जिनके घरों में निगरानी कम होती उन्हें टारगेट करता था। खासतौर पर ऐसे बच्चों को निशाना बनाता था, जो खेलते समय अकेले हो जाते या उसकी झोपड़ी के पास से गुजरते थे। कई बार वह बच्चों को टॉफी या बिस्किट का लालच देकर अपने ठिकाने तक ले जाता था। बंधा रोड की झोपड़ी में भद्दर अकेले रहता था। यहीं पर उसने अपनी छोटी-सी जगह को अपराध की अड्डे में बदल रखा था। आसपास के लोगों से बातचीत नहीं करता था। दूर-दूर तक उसका कोई करीबी नहीं था। झोपड़ी की बनावट ऐसी थी कि कोई भी झांक कर अंदर नहीं देख सकता था। आसपास का शोर-शराबा उसकी करतूतों को ढक लेता था। 

घटना को अंजाम देने के बाद भद्दर अक्सर झोपड़ी में नहीं रुकता था। वह आसपास के खाली प्लॉट, पुलों के नीचे या बंधे के किनारे बनी झाड़ियों में छिपता था। पुलिस को गुमराह करने के लिए वह इलाके से निकलकर दो-तीन घंटे बाद ही वापस आता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि भद्दर देखने में साधारण मजदूर जैसा लगता था, लेकिन उसके व्यवहार में हमेशा कुछ रहस्यमयी बात थी। वह अकेला रहता था और बच्चों से ज्यादा घुलता-मिलता था। मदेयगंज थाना पुलिस एसआईटी के माध्यम से उसके आपराधिक इतिहास की जांच कर रही है। पुलिस को आशंका है कि उसने लखनऊ और सिधौली में भी इससे पहले कई वारदात को अंजाम दिया है।

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