शिवरात्रि, शिव- शक्ति और शिव एवं जीव के मिलन की रात्रि : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
By Harshit
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महाकुम्भ नगर। महाशिवरात्रि, विशेष रूप से भगवान शिव और शक्ति के मिलन की रात्रि है। यह वह रात्रि है जब शिव का आदिशक्ति के साथ मिलन होता है। यह बात बुधवार को परमार्थ निकेतन शिविर के स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा।
उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि, शुद्धि की रात्रि है, इस रात्रि में शिव की उपासना से मानसिक और शारीरिक शुद्धता की प्राप्ति होती है और जीवन के पथ पर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए शक्ति मिलती है। महाकुम्भ की दिव्य धरती पर महाशिवरात्रि का दिव्य, अद्भुत एवं अभूतपूर्व संयोग है। इस विशेष अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर में शिवलीला का अद्भुत आयोजन किया गया। आदिवासी और जनजाति कलाकारों द्वारा शिव जी के प्रतीक के रूप में उनके आदर्शों को पुनः जीवित कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
स्वामी जी ने कहा कि शिवरात्रि पर आप सबका जीवन ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ बने। शिव का स्वरूप ही सत्य, सौंदर्य और शांति का प्रतीक है। सत्य, जो हर काल में अपरिवर्तित रहता है, शिव का शाश्वत स्वरूप, जो संसार के सभी भ्रमों से परे है। शांति, जो हर जीव के हृदय में निवास करती है, जीवन को संतुलित व शुद्ध करती है और सुंदरता, जो केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि भीतर की मानसिक शांति और संतोष में भी प्रकट होती है।
इस शिवरात्रि, हम सभी भगवान शिव से प्रार्थना करे कि हमारे जीवन में सत्य की पहचान हो, शांति का अनुभव हो और हम आत्मिक सुंदरता को आत्मसात कर सकें। उनके आशीर्वाद से हम अपने जीवन को दिव्य और पूर्ण बना सकते हैं। परमार्थ निकेतन शिविर में जिन आदिवासी और जनजाति कलाकारों ने अद्भुत प्रस्तुतियाँ दी, स्वामी जी ने उन सभी कलाकारों का उत्साहवर्द्धन किया और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।
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