प्रबंधन की विफलता निजीकरण का आधार नहीं बन सकती
रोज नया कीर्तिमान बना रहे हैं बिजली कर्मी
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के वक्तव्य पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री का विकसित भारत का लक्ष्य बिजली को सार्वजनिक क्षेत्र में बनाए रखते हुए ही पूरा किया जा सकता है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली आपूर्ति का रोज नया कीर्तिमान सार्वजनिक क्षेत्र में ही बिजली कर्मी बना रहे हैं। यदि कोई विफलता है तो प्रबंधन की है,और प्रबंधन की विफलता निजीकरण का आधार नहीं बन सकती।
बिजली के निजीकरण के विरोध में लगातार 196वें दिन प्रांत भर में बिजली कर्मियों का आंदोलन जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि किसानों,उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत में "प्रधानमंत्री के विकसित भारत का लक्ष्य और सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली" यह एक महत्वपूर्ण विषय होगा।
बिजली महापंचायत का खुला निमंत्रण ऊर्जा मंत्री को है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री बिजली महापंचायत में सम्मान आमंत्रित है। वह बयान देने के बजाय बिजली महापंचायत में आकर बताएं कि बिजली के निजीकरण से किस प्रकार किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों का भला होने जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री को किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों के सामने अपनी बात रखने का इससे अच्छा मंच नहीं मिलेगा। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों ने 31104 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर कल पूरे देश में एक नया कीर्तिमान बनाया था जिसे एक दिन बाद ही 31218 मेगावाट बिजली आपूर्ति कर बिजली कर्मियों ने तोड़ दिया है।
इन सभी कीर्तिमानों पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एक और ट्वीट कर रहे हैं, यह कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में बिजली के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान बन रहे हैं और दूसरी ओर यह बयान दे रहे हैं कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए अब निजीकरण अपरिहार्य हो गया है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को ऐसे विरोधाभासी बयानों से बचना चाहिए।
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