बिजली दरों में वृद्धि वापस लें सरकार
बिजली महापंचायत में शामिल होंगे किसान
लखनऊ। यूपी में बिजली के निजीकरण बिजली दरों में वृद्धि और जबरन स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में किसानों को संगठित एवं आंदोलित करने पर चर्चा करने के लिए क्रांतिकारी किसान यूनियन की राज्य कमेटी की विस्तारित वर्चुअल बैठक मंगलवार सुबह संपन्न हुई।
बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दर्शन पाल ने बताया कि बिजली के निजीकरण का विरोध दिल्ली सीमाओं पर चले किसान आंदोलन का मुख्य मुद्दा रहा और आज भी है। आज बिजली आम आदमी की जरूरत है, और लोक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश की जनता को सस्ती और पर्याप्त बिजली मुहैय्या कराए। यूपी सरकार बिजली के निजीकरण के जनविरोधी फैसले को वापस ले। उन्होंनें बैठक में शामिल यूनियन के प्रमुख नेताओं सहित यूपी के किसानों-मजदूरों को बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन का साथ देने और जनता की बिजली निजी हाथों में जाने से रोकने के लिए आंदोलन करने की अपील की।
बैठक में निर्णय लिया गया कि बिजली कर्मचारियों द्वारा 22 जून को लखनऊ में बुलाई गई बिजली महापंचायत में यूनियन बढ़-चढ़कर भागीदारी करेगी। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित 24 जून को साझा विरोध-प्रदर्शन में सभी जिलों में यूनियन भागीदारी करेगी। बिजली के निजीकरण, बिजली दरों में वृद्धि और स्मार्ट मीटर योजना के विरोध में किसानों -खेतिहर मजदूरों को जागरूक, संगठित और आंदोलित करने के लिए यूनियन के पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को गांवों में चौपाल-पंचायतें करने और मोर्चा द्वारा जारी पर्चा वितरण में जुटने का फैसला लिया।
बैठक में किसान नेताओं ने कारपोरेशन द्वारा बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक वृद्धि कर गांवों में बिजली दर आठ रुपये तक बढ़ाने के प्रस्ताव को यूपी के किसानों-मजदूरों और तमाम गरीब तबकों के साथ बड़ा धोखा बताया। जबकि पिछले चार सालों से संयुक्त किसान मोर्चा ग्रामीणों के लिए 300 यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली की मांग के लिए आंदोलन कर रहा है। बीपीएल परिवारों के लिए 3 रुपये यूनिट का बिल देना मुश्किल बना हुआ है, ऐसे में प्रस्तावित वृद्धि दर उनके घरों और जीवन में अंधेरा करने का फैसला है। बैठक के दौरान किसान नेताओं ने इस फैसले की कड़ी निंदा की।
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