दुनिया भर में तेल की कीमतों को लेकर डर का माहौल
By Tarunmitra
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नई दिल्ली। इस्राइल और ईरान के बीच तेज होते संघर्ष और इसमें अमेरिका की एंट्री के बाद से दुनिया भर में तेल की कीमतों को लेकर डर का माहौल है। भारत तेल की कीमतों और रुझानों पर करीब से नजर रख रहा है। दरअसल, ऐसी अटकलें हैं कि ईरान तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की योजना बना रहा है। यह जलडमरूमध्य एक प्रमुख समुद्री मार्ग है, जिसके जरिए वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति का पाचवां हिस्सा दुनियाभर को सप्लाई होता है।
अमेरिकी हमले से भड़के ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य (फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ने वाला संकीर्ण समुद्री मार्ग) को नौवहन के लिए बंद करने की धमकी दी है, ताकि अपने दुश्मनों पर दबाव बना सके। सामरिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो भारत और चीन की ऊर्जा खरीद के साथ ही वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर इसका महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। होर्मुज का खुला रहना पूरी दुनिया के हित में है।
क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य?
होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चोकपॉइंट्स में से एक है, जिसके माध्यम से वैश्विक तेल और गैस आपूर्ति का पांचवां हिस्सा दुनियाभर में पहुंचता है। यह फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है। सबसे संकरे इलाके में लगभग 33 किमी चौड़ी यह संकरी नहर ईरान (उत्तर) को अरब प्रायद्वीप (दक्षिण) से अलग करती है। जलमार्ग में शिपिंग लेन (जहाज के लिए मार्ग) और भी संकरी हैं। यह प्रत्येक दिशा में महज 3 किमी चौड़ी है। इससे यह हमलों और बंद होने के खतरों के प्रति संवेदनशील हो जाती है। वैश्विक तेल का लगभग 30 प्रतिशत व दुनिया की एक तिहाई एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) की प्रतिदिन इस जलडमरूमध्य से होकर ढुलाई होती है। इसके बंद होने से वैश्विक आपूर्ति में तत्काल कमी आएगी, जिससे कीमतें बढ़ेंगी।
क्षेत्रीय महाशक्तियों सऊदी अरब, इराक, यूएई, कतर, ईरान और कुवैत से तेल निर्यात का बड़ा हिस्सा इस संकीर्ण जलमार्ग से होकर गुजरता है। एक वक्त था, जब इस पर पश्चिम मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप निर्भर था। इस पर फारस की खाड़ी के ऊर्जा प्रवाह में व्यवधान का सबसे ज्यादा असर पड़ता था, लेकिन आज यह चीन और एशिया है, जो किसी भी व्यवधान का खामियाजा भुगतेंगे।
होर्मुज जलडमरूमध्य कितना महत्वपूर्ण?
भारत के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके कुल आयात 5.5 मिलियन बीपीडी में से लगभग 20 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) कच्चा तेल इस संकीर्ण जलमार्ग से होकर गुजरता है। हालांकि, आयात के अपने स्रोतों में विविधता लाने के बाद भारत को होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने पर बहुत ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी, क्योंकि रूस से लेकर अमेरिका और ब्राजील तक भारत के लिए वैकल्पिक स्रोत किसी भी कमी को पूरा करने के लिए उपलब्ध हैं। रूसी तेल को होर्मुज जलडमरूमध्य से अलग किया गया है, जो स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप या प्रशांत महासागर के जरिए से आता है। गैस के मामले में भारत का मुख्य आपूर्तिकर्ता कतर आपूर्ति के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य का उपयोग नहीं करता है। ऑस्ट्रेलिया, रूस और अमेरिका में भारत के तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के अन्य स्रोत किसी भी तरह के बंद से अछूते रहेंगे।
भारत की क्या तैयारी?
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हम पिछले दो हफ्ते से पश्चिम एशिया में विकसित हो रहे भू-राजनीतिक हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति में विविधता लाई है। अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर नहीं आता है।
केंद्रीय मंत्री ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों की आपूर्ति है। उन्हें कई मार्गों से आपूर्ति होती रहती है। हम अपने नागरिकों को ईंधन की आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।'
हालांकि, तेल और गैस एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र है, यहां तक कि सीमित व्यवधान भी वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, अगर होर्मुज जलडमरूमध्य का एक हफ्ते के लिए भी बंद हुआ तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा। भारत पर भी असर होगा।
कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि हमें लगता है कि यह स्थिति ज्यादा दिन तक नहीं रहेगी और जल्द ही सामान्य हो जाएगी। भारत रूस से कच्चा तेल आयात करता रहा है, लेकिन इसका फायदा छूट और कीमत के रुझान पर निर्भर करता है।
यदि कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर जाती है तो सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की समीक्षा पर विचार कर सकती है।
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